नयी दिल्ली , कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से लड़ाई की दिशा में एक और क्रांतिकारी आविष्कार करते हुये स्वदेशी वैज्ञानिकों ने ऐसा किट तैयार किया है जो मरीजों से लिये गये नमूनों की जाँच को और सटीक बनायेगा।
इस किट में अतिसूक्ष्म चुम्बकीय कणों (मैगनेटक नैनो पार्टिकल्स) का इस्तेमाल कर मरीज के गले और नाक से एकत्र किये गये नमूनों के प्रयोगशाला तक पहुँचने के दौरान वायरस के आरएनए को होने वाले नुकसान की आशंका को समाप्त कर दिया गया है। इस किट से जहाँ जाँच के नतीजे और बेहतर आयेंगे, वहीं इस किट के लिए आयात पर निर्भरता भी समाप्त हो जायेगी।
इस किट को ‘चित्रा मैग्ना’ नाम दिया गया है। इसे श्री चित्रा तिरुनाल चिकित्सा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान के डॉ. अनूप टेक्कूविट्टिल की टीम ने तैयार किया है। इसकी प्रौद्योगिकी केरल की स्थानीय कंपनी अगप्पे डायग्नोस्टिक्स को हस्तांतरित की गयी है। संस्थान ने इस प्रौद्योगिकी के पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया है।
कोविड-19 की जाँच के लिए मरीज के गले और नाक से नमूने लेकर उसे प्रयोगशाला में भेजने तक विशेष किट में रखा जाता है। ये किट वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप होते हैं जिससे वायरस का आरएनए सुरक्षित रहे। आरएनए से प्रयोगशाला में डीएनए प्राप्त कर पुष्टि की जाती है।
वायरस का आनएनए ‘चित्रा मैग्ना’ में मौजूद सूक्ष्म चुम्बकीय कण से चिपक जाता है। जब यह नमूना चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो बेहद शुद्ध और काफी मात्रा में आरएनए प्राप्त होता है। इस प्रकार जाँच के नतीजे अधिक सटीक होते हैं।