लखनऊ, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को एक और झटका मिला जब औरैया जिले में बिधूना सीट से विधायक विनय शाक्य ने गुरुवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
इससे पहले शिकोहाबाद से भाजपा विधायक डा मुकेश वर्मा ने भी पार्टी में दलित, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुये भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को भेजे इस्तीफे में शाक्य ने खुद को योगी सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य काे अपना नेता बताते हुये पार्टी पर दलितों और पिछड़ों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। शाक्य ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को 11 जनवरी की इस्तीफा भेज दिया था।
लगभग एक समान मजमून वाले इस्तीफे में जिक्र किया गया है, “भाजपा की प्रदेश सरकार द्वारा अपने पूरे पांच वर्षों के कार्यकाल के दौरान दलित , पिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के नेताओं व जनप्रतिनिधियों को कोई तवज्जो नहीं दी गई और न उन्हें उचित सम्मान दिया गया । इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा ही दलितों पिछड़ों , किसानों व बेरोजगार नौजवानों और छोटे – लघु एवं मध्यम श्रेणी के व्यापारियों की भी घोर उपेक्षा की गयी है। प्रदेश सरकार के ऐसे कूटनीतिपरक रवैये के कारण मैं भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।”
इतना ही नहीं शाक्य और डा वर्मा ने खुद को मौर्य का समर्थक भी बताते हुये कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य शोषित पीड़ितों की आवाज हैं। वह हमारे नेता हैं।
गौरतलब है कि गत मंगलवार को मौर्य ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद गुरुवार को वन मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी सरकार से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से मौर्य समर्थक विधायकों का भाजपा से इस्तीफा देने का सिलसिला जारी है।