नयी दिल्ली, देश में खेलों को बढ़ावा देने तथा खेलों की दुनिया में भारत की छवि को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डोपिंग रोधी कानून बनने से देश में खेलों का बेहतर माहौल बनेगा और खिलाड़ी इससे आगे बढ़ने को प्रोत्साहित होंगे।
खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक 2021 चर्चा और पारित करने के लिए पेश करते हुए कहा कि आज भारत के खिलाड़ी दुनिया में नाम रोशन कर रहे हैं। टोक्यो ओलंपिक में कई पदक हासिल कर खेलों की दुनिया में भारत का दबदबा बना है। करीब 73 साल बाद भारत के खिलाड़ियों ने बैडमिंटन की दुनिया के सबसे बड़े खिताब थॉमस कप गोल्ड मेडल हासिल किया है। सरकार खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि इस कानून के बनने से नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी-नाडा के अनुसार नियम लागू होंगे और खिलाड़ियों को अपनी असली क्षमता के साथ मेडल जीतने के लिए तैयार किया जाएगा। उनका कहना था कि इस कानून के अस्तित्व में आने के बाद देश में लेबोरेटरी की स्थापना की जाएगी। भारत के पास अब तक अपने डोपिंग कानून की कमी थी जो इस कानून के संसद से पारित होने के बाद पूरी हो जाएगी और देश को अपने खिलाड़ियों के सैंपल दूसरे देशों में भेजने के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के मनोज तिवारी ने कहा कि नियम के बनने से खिलाड़ी अपनी क्षमता से मेडल हासिल करेंगे। कानून नहीं होने से खिलाड़ी अगर क्षमता बढ़ाने वाली दवा का इस्तेमाल कर मेडल हासिल करता है और बाद में पकड़ा जाता है तो इससे देश की बड़ी बदनामी होती है। इस बदनामी से से बचने के लिए कानून महत्वपूर्ण है।
शिवसेना के राहुल रमेश शेवाले ने कहा कि इस कानून के तहत देश के हर राज्य में टेस्टिंग सेंटर खोले जाने हैं। उन्होंने कहा कि यह कानून बनने के बाद मुंबई में एक सेंटर खोला जाना चाहिए ताकि क्षेत्र के लोगों को टेस्टिंग में आसानी हो और खेल प्रतिभाए प्रोत्साहित होंगी। उन्होंने विधयक का समर्थन किया।
तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि यह विधेयक 2021 में संसद की स्थाई समिति के पास गया उसकी सिफारिश के अनुसार विधेयक को लाया गया है। उनका कहना था कि डोपिंग एथलीट के प्रदर्शन को प्रभावित करता है। डोपिंग विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है और दुनिया के 191 देश इस समस्या से प्रभावित है।