उन्होंने कहा कि वहां नीचे मन्दिर था, यह अलग दलील है, लेकिन यहां बहस राम मन्दिर को तोड़ने को लेकर है।
सिर्फ आकृति या चिह्न मिलने से देवता वहां थे इसकी पुष्टि कैसे होती है, यह तो इस पर निर्भर करता है कि अंदर प्रार्थना का तरीका कैसा है, सच्चाई तो यह है कि अंदर मस्जिद और बाहर राम चबूतरा था।
अंग्रेजों ने अलग दरवाज़ा बनाकर अमन कायम रखा।
न्यायमूर्ति भूषण ने श्री धवन से पूछा, श्हनुमान द्वार पर द्वारपाल क्यों बने थे, जय विजय, इस पर उन्होंने कहा,श्ये 19वीं
सदी के उत्तरार्ध 1873-1877 के बीच जब वहां दोनों तरह की प्रार्थनाएं हो रही थीं, तब की होंगी।
इस पर न्यायमूर्ति भूषण ने कहा, श्जय विजय तो विष्णु मंदिरों के द्वारपाल होते थे।
इन जय विजय की मूर्ति वाले कसौटी खंबों का ज़िक्र 1428 में भी मिलता है।
इस पर धवन ने कहाए मुझे वे फोटो मैग्निफाइंग ग्लास से देखनी होंगी।