उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 70 वर्षों में, एक भी संन्यासी को भारत रत्न नहीं दिया गया, चाहे वह महर्षि दयानंद सरस्वती हों या स्वामी विवेकानंद, शिवकुमार स्वामी जी। इन सभी संतों ने इतना योगदान दिया है कि, उन्हें भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज तक किसी सन्यासी को भारत रत्न क्यों नहीं मिला? मदर टरेसा को दे सकते हैं क्योंकि वो ईसाई हैं लेकिन सन्यासी को नहीं दे सकते हैं क्योंकि वो हिंदू हैं। हिंदू होना गुनाह है इस देश में?