लखनऊ, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जीवन के सबसे बड़े आदर्श छत्रपति शाहूजी महाराज थे। यह बात पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अपना दल एस अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने कही।
छत्रपति शाहूजी महाराज को सामाजिक न्याय एवं व्यवस्था परिवर्तन का मसीहा बताते हुये अनुप्रिया पटेल ने कहा कि राजनीतिक बराबरी के साथ सामाजिक और आर्थिक समानता की बात करने वाले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के जीवन के सबसे बड़े आदर्श छत्रपति शाहूजी महाराज थे।
छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के मौके पर श्रीमती पटेल ने कहा कि सही मायने में सामाजिक न्याय एवं व्यवस्था परिवर्तन के मसीहा छत्रपति शाहूजी महाराज थे। उन्होंने आधुनिक भारत के इतिहास में व्यवस्थित तरीके से सकारात्मक कार्रवाई (अफर्मेटिव एक्शन) के रूप में आरक्षण की व्यवस्था की।
उन्होने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ.भीम राव अम्बेडकर ने राजनैतिक बराबरी के साथ-साथ सोशल एवं आर्थिक समानता की बात की थी। बाबा साहब की यह सोच छत्रपति शाहूजी महाराज के विचार से पैदा हुई। बाबा साहब के जीवन के सबसे बड़े आदर्श व्यक्ति छत्रपति शाहूजी महाराज थे।
श्रीमती पटेल ने कहा “ आज हम जहां खड़े हैं। आज समाज का वंचित और गरीब तबका भी सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहा है। आज हम सार्वजनिक तौर पर समानता की बात करते हैं। गैर-बराबरी को दूर करने के लिए आवाज उठाते हैं। इसका श्रेय छत्रपति शाहूजी महाराज को जाता है। इसकी वजह से छत्रपति शाहूजी महाराज को अनेक विरोधों का सामना करना पड़ा, लेकिन वह अपने दृढ़ निश्चय से पीछे नहीं हटे।
बाबा साहब डॉ.भीम राव आम्बेडकर जी से जब शाहूजी महाराज की मुलाकात हुई तो शाहूजी महाराज ने कहा था कि दलित समाज में एक अनमोल रतन का जन्म हुआ है, उसे आगे बढ़ाना चाहिए, ताकि पूरे वंचित समाज का उद्धार हो और इसी उद्देश्य से उन्होंने बाबा साहब को विदेश में उच्च शिक्षा के लिये आर्थिक मदद की थी।”
उन्होने कहा कि शाहूजी महाराज ही वह प्रतापी और प्रजापालक राजा थें, जिन्होंने सूखा पड़ने पर अपने राज्य के किसानों के लिए ‘हल’ निर्माण के लिये अपनी सारी तोपें दान कर दी। शाहूजी महाराज की इस पहल से कोल्हापुर में किसानों को हल मिल गए और फसल अच्छी होने लगी। उन्होंने अपने राज्य में अनेक बांध व तालाब का निर्माण कराया। आज इसी वजह से कोल्हापुर में सूखा की शिकायत नहीं आती है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि शाहूजी महाराज ने अछूतों के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती की व्यवस्था की। उन्होने 16 जुलाई 1901 में अपने शासन की नौकरियों में गैर ब्राह्मण वर्ग के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। उन्होंने ज्योतिबा फुले जी की सिफारिशों को मूर्त रूप देते हुए अपने शासन क्षेत्र में बगैर किसी भेदभाव के सबको शिक्षा देने का प्रावधान किया।
शाहूजी महाराज ने शूद्रों व अछूतों के बच्चों के लिए छात्रवृत्तियां, छात्रावास की व्यवस्था की और हर गांव में प्राथमिक विद्यालय बनवाए। महिलाओं की शिक्षा के लिए 500 से 1000 तक की आबादी वाले हर गांव में कन्या विद्यालय बनवाने की योजना चलाई। उन्होंने 28 मार्च 1920 को नागपुर में आयोजित अछूतों के एक अखिल भारतीय सम्मेलन की अध्यक्षता की। उन्होंने बलूतदारी प्रथा और ‘वतनदारी प्रथा’ को समाप्त किया। शाहूजी महाराज के इस आदेश से महार भाईयों की आर्थिक गुलामी काफी हद तक दूर हो गई।
श्रीमती पटेल ने कहा कि विकास की मुख्यधारा में लाने और समानता का अधिकार दिलाने के लिए हमारे महापुरुषों ने जो त्याग, संघर्ष किया है। उसे हमें भूलना नहीं चाहिए। हमें अभी और संघर्ष करना है। अपना दल (एस) ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए सड़क से लेकर संसद के अंदर तक मजबूती से आवाज उठायी।
उन्होने कहा कि किसानों की समस्याओं को प्रमुखता से रखते रहे हैं। सामाजिक बराबरी के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की लगातार मांग कर रहे हैं। ताकि न्यायपालिका में वंचित वर्गों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। पार्टी की निरंतर आवाज उठाने का ही फल है कि आज केंद्रीय विद्यालयों एवं नवोदय विद्यालयों में भी अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के प्रवेश के लिए आरक्षण प्रावधान किया गया है।
श्रीमती पटेल ने कहा कि हमारे महापुरुषों के संघर्ष से आरक्षण का हमें जो अधिकार मिला, उस अधिकार को बनाए रखने के लिए हमें निरंतर आवाज उठाते रहना होगा। अपना दल एस निरंतर आउटसोर्सिंग एवं संविदा के जरिए होने वाली भर्तियों में आरक्षण की मांग करती रही है। इन मांगों को पार्टी आगे भी प्रमुखता से उठाती रहेगी।