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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का निधन….

भोपाल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बाबूलाल गौर (89) का बुधवार सुबह निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. कुछ दिन पहले उन्हें भोपाल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. गौर को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. इसके अलावा उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.

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बाबूलाल गौर को उमा भारती की कृपा से कभी मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली थी. मगर उन्हीं बाबूलाल गौर की वजह से उमा भारती की मध्य प्रदेश में सियासत की जमीन ही खिसक गई.दरअसल 2003 के विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की सत्ता में बीजेपी के आने पर उमा भारती मुख्यमंत्री बनी थीं. मगर साल भर बाद ही कर्नाटक में हुबली की एक अदालत ने दंगा भड़काने के 10 साल पुराने एक मामले में उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया था.

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कर्नाटक से आईपीएस डी रूपा के नेतृत्व में वारंट को तामील कराने पुलिस अधिकारियों की टीम भी निकल पड़ी थी. गिरफ्तारी की लटकती तलवार देखकर बीजेपी नेतृत्व ने उमा भारती पर नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा. जिसके बाद उमा भारती ने पद छोड़ दिया. मगर कुर्सी छोड़ने से पहले राज्य के गृहमंत्री बाबूलाल गौर का नाम उन्होंने मुख्यमंत्री पद के लिए बढ़ाया.

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दरअसल उमा भारती का बाबूलाल पर इतना भरोसा था कि जब भी वे कहेंगी तो उनके लिए बाद में कुर्सी खाली कर देंगे. मगर एक बार कुर्सी मिलने के बाद बाबूलाल गौर कुर्सी से उतरने को तैयार नहीं हुए. जबकि कहा जाता है कि कुर्सी सौंपने से पहले उमा भारती ने बाबूलाल गौर को 21 देवी-देवताओं की कसम खिलाई थी. दोबारा सीएम की कुर्सी न मिलने पर उमा भारती बीजेपी से बागी हो गईं.

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इस बीच बाबूलाल गौर के खिलाफ पार्टी नेतृत्व को तमाम तरह की शिकायतें भी मिलने लगीं. बीजेपी ने बीच का रास्ता निकालते हुए दोबारा उमा भारती को मौका देने की जगह शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया. तब शिवराज सिंह चौहान पार्टी के महासचिव थे. आखिरकार 2005 में शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने.

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