नई दिल्ली, बैंक ऑफिसर्स की चार यूनियनों ने 26 सितंबर से दो दिनी हड़ताल की घोषणा की है। यूनियन ने हड़ताल में बैँकों का विलय के विरोध के साथ ही 11वां वेतन समझौता लागू करने की मांग की है। कहीं न कहीं वेतन को लेकर बैंक अफसरों की मांग जायज भी है।
मौजूदा समय में बैंक अधिकारी के रूप में जो नए लोग नियुक्त हो रहे हैं उनका वेतन प्राइमरी के शिक्षक से थोड़ा नहीं लगभग दस हजार रुपये कम है। वहीं, नए नियुक्त हो रहे क्लर्क का वेतन राज्य और केंद्र सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से भी कम है। वेतन की इस विसंगति को लेकर इस बार बैंकों के ऑफिसर्स की सभी चार ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल की घोषणा की है।
ऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन के सहायक क्षेत्रीय सचिव दुर्गेश राय ने बताया कि बैंक के कर्मचारियों-अधिकारियों की मांग है कि बैंकों में पांच दिनों का कार्यदिवस हो। आरबीआई में भी पांच दिनों का कार्यदिवस है। बैंकों में कर्मचारियों-अफसरों की कमी से अवकाश नहीं मिलता। सालभर के अवकाश बिना लिए ही खत्म हो जाते हैं। बैंकों में जहां ग्राहकों से संबंधित सभी कार्य हो रहे हैं वहां भी यह नियम लागू होना चाहिए।
ऑल इंडिया बैंकर्स ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन के कार्यकारिणी सदस्य अजय सिंह ने बताया कि 1977 तक बैंक अधिकारी का वेतन 760 रुपये और आईएएस अफसर का वेतन 700 रुपये था। उस समय बैंक की नौकरी में वेतन के साथ प्रतिष्ठा भी थी। वेतन निर्धारण के लिए बनाई गई कमेटियों के चलते मौजूदा समय में बैंक कर्मचारियों-अफसरों का वेतन इस स्तर पर पहुंचा है। इसके अलावा 11वां वेतन समझौता जो कि नवंबर 2017 में लागू हो जाना था वो अभी तक नहीं लागू किया गया है। ऐसी ही मांगों को लेकर हड़ताल की घोषणा की गई है।