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बड़ी खुशखबरी, डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए RBI ने किया बड़ा ऐलान

नई दिल्ली, नोटबंदी के बाद से देश में ड‍िजिटल लेन-देन लगातार बढ़ रहे हैं. जिस तेजी से डिजिटल लेन-देन बढ़ रहे हैं, उसी गति से इससे जुड़े फ्रॉड के मामले भी सामने आ रहे हैं.

डिजिटल लेन-देन से जुड़ी श‍िकायतों का समाधान करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक एक अलग लोकपाल का गठन करेगा. ताकि इन श‍िकायतों का त्वरित समाधान निकाला जा सके.भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल लेनदेन के लिए अलग लोकपाल बनाने की बात कही है. यह जानकारी RBI ने अपनी सालाना आम रिपोर्ट में दी है.

डिजिटल लेनदेन से जुड़ी श‍िकायतों के लिए अलग लोकपाल के गठन से इन श‍िकायतों का जल्द निपटारा होगा. डिजिटल लेनदेन में बढ़ती शिकायतों को लेकर आरबीआई गंभीर है. केंद्रीय बैंक चुनिंदा केंद्रों पर डिजिटल लेनदेन की शिकायत पर कार्रवाई के लिए ओम्बड्समैन दफ्तर भी खोलेगा.

केंद्रीय बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में गैर-बैंकिंग कंपनियों के आने और ऐसी शिकायतों की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए इनके निपटान के लिए अलग ओम्बड्समैन योजना आवश्यक है. रिजर्व बैंक इससे पहले गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों  के लिए ओम्बड्समैन योजना लागू कर चुका है. यह 23 फरवरी 2018 से ही प्रभावी है. इसके दायरे में एनबीएफसी की तरफ से स्वीकार की जाने वाली सभी जमा आती हैं.

एनबीएफसी ओम्बड्समैन योजना दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में शुरू हो चुकी है. हर कार्यालय संबंधित क्षेत्र के एनबीएफसी ग्राहकों की शिकायतों पर सुनवाई करता है. बैंकिंग नियामक आरबीआई के मुताबिक, खुदरा भुगतान के कुल वॉल्यूम में इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की हिस्सेदारी साल 2017-18 में बढ़कर 92.6 फीसदी हो गई, जो पिछले साल 88.9 फीसदी थी. इसके साथ ही कागज आधारित क्लियरिंग कामकाज में गिरावट आई है.

देश में भुगतान के नए तरीके बढ़ रहे हैं. इस बीच जालसाजी की शिकायत भी बढ़ी है. आरबीआई ने भुगतान के विभिन्न तरीकों की परिभाषा बदलने का भी फैसला लिया है. केंद्रीय बैंक ह्वाइट लेबल एटीएम  के लिए जारी दिशानिर्देशों की भी समीक्षा करेगा. इसमें नई कंपनियों के शामिल होने और एटीएम को लगाने की जगह आदि पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. इससे डब्ल्यूएलए उद्योग को राहत मिल सकती है. यह उद्योग सालों से इन दिशानिर्देशों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध कर रहा था.

आरबीआई ने यह भी कहा कि नई और मौजूदा भुगतान व्यवस्था के ढांचे को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसके साथ ही सभी पेमेंट गेटवे पूरी तरह से केंद्रीय बैंक द्वारा नियमित होंगे.फिलहाल, आरबीआई अप्रत्यक्ष रूप से बैंकों के माध्यम से इन पर नजर रख रहा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि भुगतान और आधारभूत संरचना पर समिति ने टास्क फोर्स का गठन किया है,जो थोक कारोबार में होने वाले भुगतान में धोखाधड़ी से सुरक्षा देगी.