लखनऊ , उत्तर प्रदेश सरकार मे एक कैबिनेट मंत्री ने बड़ा दावा करते हुये कहा है कि पहले आती नहीं थी, अब जाती नहीं है।
ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने दावा किया है कि योगी सरकार के पिछले तीन सालों के कार्यकाल में करीब सवा करोड़ घरों को अंधेरे से मुक्ति मिली है जिसके चलते ग्रामीण इलाकों में जारी पलायन रोका जा सका है।
अपने विभाग का पिछले तीन साल का रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुये श्री शर्मा ने रविवार को कहा कि उनकी सरकार गरीब-किसान एवं उपभोक्ता हित में काम कर रही है। पूर्व सरकार में गांवों में बिजली आती नहीं थी, आज बिजली जाती नहीं है। भाजपा सरकार में जहां 1.24 करोड़ घरों ने अंधियारे से मुक्त होकर रोशन हुए वहीं गांवों से पलायन भी रुका है। अब चार जिलों में बिजली पहुंचाने वाली सरकार नहीं बल्कि 75 जिलों में निर्बाध बिजली पहुंचाने और ‘उपभोक्ता देवो भवः’ की नीति पर काम करने वाली सरकार काम कर रही है।
उन्होने कहा कि वर्ष 2015-16 में ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 201.59 मिलियन यूनिट विद्युत आपूर्ति होती थी वह 2018-19 में 52 फीसदी बढ़कर 305.84 मिलियन यूनिट हो गई जिसके चलते गांवों में 18 घंटे, तहसील केंद्रों पर 20 घंटे और जिला मुख्यालयों में 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित हुई है।
पूर्ववर्ती सपा सरकार ने 5.14 रूपये-11.09 रूपये की दर से दीर्घकालिक पीपीए किये और जनता पर मंहगी बिजली थोपी जबकि योगी सरकार ने निर्बाध आपूर्ति के लिए 2.98 रूपये- 4.19 रूपये की दर से पीपीए किये। हमने उपभोक्ता हित में काम किया, सपा-बसपा ने निजी हित में काम किया।
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में 2012-17 के बीच प्रतिवर्ष केवल 19880 नलकूप कनेक्शन ही दिए जा रहे थे जबकि हमारी सरकार बनने पर प्रति वर्ष 46,393 के औसत से सिंचाई के लिये किसानों को नलकूप कनेक्शन दिए गए। तीन साल में हमारी सरकार में 1,31,199 नए नलकूप कनेक्शन दिए।
तीन वर्षों में सौभाग्य एवं अन्य योजनाओं के जरिये 1.21 लाख मजरों के 1.24 करोड़ लोगों को बिजली कनेक्शन दिए गए। यह अपने आप में रिकॉर्ड है। हमने सौभाग्य-2 की अवधि भी बढ़ाई है। इन सभी को 31 मार्च तक कनेक्शन दिए जाएंगे।
श्री शर्मा ने कहा कि प्रदेश की विद्युत उत्पादन क्षमता में 3973 मेगावाट की क्षमता वृद्धि हुई है। इसमें 1890 मेगावाट तापीय 138 मेगावाट हाइड्रो, 1350 मेगावाट सोलर और 595 मेगावाट का उत्पादन अन्य स्रोतों के जरिये किया जा रहा है। 62022 तक प्रदेश की विद्युत उत्पादन क्षमता को 6134 मेगावाट से बढ़ाकर 12734 मेगावाट किया जाएगा। इसके लिए 660 मेगावाट की 10 इकाईयों की स्थापना भी की जा रही है।
उन्होने कहा कि प्रदेश की पारेषण क्षमता को सपा सरकार के मुकाबले 16346 मेगावाट से बढ़ाकर 24000 मेगावाट किया जा चुका है। ग्रिड की आयात क्षमता भी 8700 मेगावाट के मुकाबले 13400 मेगावाट किया जा चुका है।
निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए तीन वर्षों में विभिन्न योजनाओं में 28,582 किमी जर्जर तार बदले गए हैं। 31 मार्च तक कुल 38,951 किमी जर्जर तारों को एबी केबल में बदला जाएगा। इसपर 3,552 करोड़ रुपये की लागत आयेगी।
श्री शर्मा ने कहा कि अंडरग्राउंड केबलिंग के कार्यों के तहत 19 जिलों की 22 परियोजनाओं में 6035.70 किमी एलटी व 924.98 किमी एचटी लाइन बिछाई जा चुकी है।
उजाला योजना के तहत 2.60 करोड़ एलईडी बल्बों का वितरण कर विद्युत मांग में 700 मेगावाट की कमी की गई है। इससे 1355 करोड़ रूपये की बचत भी हुई है। राज्य सरकार उपभोक्ताओं की सुविधा के लिये महानगरों में 40 लाख स्मार्ट मीटर भी लगवा रही है, जिनमें 12 शहरों में 9 लाख मीटर लगाये भी जा चुके हैं।
उपभोक्ताओं की शिकायतों के निस्तारण में भी ऊर्जा विभाग बहुत बेहतर ढंग से कार्य कर रहा है। 1912 पर आई कुल 38,51,622 शिकायतों में 38,12,694 यानी 98.99 प्रतिशत शिकायतें निस्तारित की जा चुकी हैं।
उन्होने कहा कि नेडा द्वारा विभिन्न योजनाओं में अब तक 66,358 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगवाई जा चुकी हैं। प्रोजेक्ट मोड जिला योजना के तहत जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों पर प्रति लाइट 7,100 रूपये अनुदान भी दिया जाता है। राज्य सरकार ने तीन साल में 18,823 किसानों को सोलर पंप दिए हैं।
मौजूदा समय में सरकार ने 5500 करोड़ से अधिक की विभिन्न योजनाओं में अब तक 1657 मेगावाट की परियोजनाओं की स्वीकृति दी है इसमें 946 मेगावाट की परियोजनाए स्थापित की जा चुकी है। इसमें सोनभद्र की रिहंद जल विद्युत परियोजना में 750 करोड़ की लागत से 150 मेगावाट क्षमता के देश के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पॉवर प्लांट भी शामिल है। जिससे मार्च 2021 से विद्युत उत्पादन भी शुरू हो जाएगा। सरकार बुंदेलखंड में 4000 मेगावाट का ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर पर भी काम कर रही है। जिसमें 5000 करोड़ का निवेश आएगा।