जींद, हरियाणा में बिगड़े लिंगानुपात के कारण दूसरे प्रदेशों से लाई जाने वाली महिलाओं को भले ही मोल की या भगोड़ी बहुएं करार दिया गया हो लेकिन इनका राज्य में अनेक परिवारों की वंशवृद्धि में बेहद अहम योगदान रहा है।
दूसरे प्रदेशों से लाई गई हजारों बहुएं राज्य में अनेकों घर बसा रही हैं। सामाजिक संस्था सेल्फी विद डॉटर फाऊंडेशन के के एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि राज्य में लगभग 1.30 लाख बहुएं दूसरे प्रदेशों से लाई गई हैं।
फाउंडेशन द्वारा दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के कई विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों के सहयोग से किये गये सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि ये महिलाएं संस्कृति, खान-पान, वेशभूषा अलग होने के बावजूद करीब डेढ़ लाख परिवारों का घर रोशन कर रही हैं।
संस्था का कहना है कि ऐसी परदेसी बहुएं अपमान नहीं सम्मान की हकदार है। दूसरे प्रदेशों से लाई जाने वाली बहुओं को सम्मान दिलाने के लिए फाउंडेशन ने परदेसी बहु-म्हारी शान अभियान शुरू किया है ताकि इन पर से मोल की या भगोड़ी बहुओं का कलंक हटाया जा सके।