लखनऊ, यूपी पुलिस की एक और बड़ी नाकामी सामने आई है। पुलिस की लापरवाही से परिवार वालों को जिस बात की आशंका थी, वही हुआ। कानपुर से 31 दिन पहले अपहृत संजीत यादव की हत्या कर दी गई।
बर्रा के लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरणकांड के 31वें दिन इसका खुलासा हुआ है। एसएसपी दिनेश कुमार पी ने बताया कि आरोपितों ने 26 या 27 जून को ही संजीत की हत्याकर शव पांडु नदी में फेंक दिया था। पुलिस ने चार आरोपितों को तो गिरफ्तार कर लिया है पर अभी तक संजीत यादव का शव नहीं मिला है। ऐसी जानकारी मिल रही है कि शव की तलाश के लिए टीमें लगाई गई हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस घटना मे संजीत का एक करीबी भी शामिल था। उसका संजीत के घर आना जाना था । इसलिये उसे यह मालूम था कि संजित की बहन की शादी टूटी है और घर वालों ने पैसा और जेवर रखे हुए है। उसे यहभी पता था कि परिजनों के बैंक खाते में दस लाख रूपये जमा है। फिरौती की कॉल आने पर परिवालों ने ने जमा पूंजी के अलावा रिश्तेदारों से लेकर 30 लाख की रकम जुटाकर दी थी। इस करीबी ने ही षड़यंत्र रचने के साथ ही कमरे आदि की भी व्यवस्था की थी।
पूरी घटना-
बर्रा पांच निवासी चमन सिंह यादव के इकलौते बेटा संजीत यादव का 22 जून की शाम अपहरण हो गया था। दूसरे दिन परिजनों ने पूर्व थाना प्रभारी रणजीत राय से बेटे के लापता होने की तहरीर दी थी। इसके बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ रखे बैठी रही।
29 जून की शाम से अपहर्ताओं ने पिता को फोन कर 30 लाख की फिरौती मांगनी शुरू कर दी। 13 जुलाई की रात पुलिस ने फिरौती की रकम लेकर परिजनों को भेजा। अपहर्ता गुजैनी पुल से फिरौती की रकम लेकर फरार हो गए और पुलिस देखती रह गई।
इस घटना के बाद एसएसपी दिनेश कुमार पी ने इंस्पेक्टर रणजीत राय को निलंबित कर दिया था। इसके बाद एसओजी, सर्विलांस टीम और कई थानों की पुलिस खुलासे में लगाई गईं।