नई दिल्ली,केंद्र सरकार दफ्तरों में कामकाज के समय में इजाफा कर सकती है. दरअसल, सरकार ने वेज कोड ड्राफ्ट रूल्स पेश किया है जिसमें दफ्तरों में कामकाज का समय 8 घंटे से बढ़ाकर 9 घंटे करने का प्रस्ताव है. हालांकि इस ड्राफ्ट में सरकार ने ज्यादातर पुराने सुझावों को ही रखा है. जिसमें मजदूरी तय करने के लिए पूरे देश को तीन जियोग्राफिकल वर्गों में बांटा गया है.
बता दें कि सरकार की ओर से जारी ड्राफ्ट में मिनिमम वेज तय करने को लेकर कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए हैं. ड्राफ्ट में कहा गया है कि भविष्य में एक एक्सपर्ट कमेटी मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश सरकार से करेगी. इसके अलावा मौजूदा समय में चल रहा 8 घंटे रोजाना कामकाज के नियम को लेकर भी ड्राफ्ट में कोई स्पष्टता नहीं है. अभी इसी नियम के तहत 26 दिन काम के बाद सैलरी तय होती है.
श्रम मंत्रालय के एक इंटरनल पैनल ने जनवरी में अपनी रिपोर्ट में 375 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से नेशनल मिनिमम वेज तय करने की सिफारिश की थी. पैनल ने इस मिनिमम वेज को जुलाई 2018 से लागू करने को कहा था. सात सदस्यीय पैनल ने मिनिमम मंथली वेज 9750 रुपये रखने की सिफारिश की थी. साथ ही शहरी कामगारों के लिए 1430 रुपए का हाउसिंग अलाउंस देने का सुझाव दिया था.
प्रस्तावित ड्राफ्ट में मिनिमम वेज तय करने के लिए पूरे देश को तीन जियोग्राफिकल वर्गों में बांटने की सिफारिश की है. इसमें पहले वर्ग में 40 लाख या इससे ज्यादा की आबादी वाले मेट्रोपोलिटन शहर, दूसरे वर्ग में 10 से 40 लाख तक की आबादी वाले नॉन मेट्रोपोलिटन शहर और तीसरे वर्ग में ग्रामीण इलाकों को शामिल किया गया है.