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भाजपा विधायक ने लगाया भ्रष्टाचार बढने का आरोप, बताई कमीशन की नई दरें ?

लखनऊ ,  उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में पुलिस उत्पीड़न को लेकर धरने पर बैठने वाले भारतीय जनता पार्टी सदस्य नंद किशोर गुर्जर ने राज्य में भ्रष्टाचार बढने का आरोप लगाकर योगी सरकार को सकते में डाल दिया।

गाजियाबाद में लोनी के विधायक ने मंगलवार को अधिकारियो पर उत्पीडन का आरोप लगाते हुये धरना दिया था। गुर्जर ने  कहा कि अधिकारी विकास कार्यो के लिये मिलने वाले धन में कमीशन लेते है और कमीशन की दरें बढकर अब 22 फीसदी के करीब पहुंच गयी है। भाजपा सदस्य के वक्तव्य के दौरान विपक्ष ने शर्म करो शर्म करो के नारे लगाये।

शून्यकाल के दौरान विधानसभा में भाजपा विधायक ने मांग की कि सरकार अधिकारियों की संपत्ति की जांच कराये क्योंकि उन्होने कमीशन के तौर पर बडा धन एकत्र किया है जबकि उनकी पत्नियां एनजीओ संचालित कर रही है और सरकारी योजनाओं के जरिये मिलने वाले धन की उगाही कर रही हैं।

उन्होने आरोप लगाया कि अधिकारियों के कमीशन के खेल का जब उन्होने विरोध किया तो गाजियाबाद जिला प्रशासन ने उन्हे झूठे आपराधिक मामलो में फंसा दिया। उन्होने स्वीकार किया कि उन पर जन आंदोलन के तीन मामले है लेकिन अधिकारियों ने नौ अन्य फर्जी मामलों में उनको फंसाया। उन्होने कहा, मै न्याय चाहता हूं और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई चाहता हूं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा विधायक के बयान को लेकर कहा कि उन्हे प्रसन्नता है कि विपक्ष उनकी पार्टी के समर्थन में आगे आया है। उन्होने कहा, मै संपूर्ण विपक्ष का भाजपा में शामिल होने का स्वागत करता हूं। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को सरकार के लिये असहज स्थिति हो गयी थी जब गुर्जर के समर्थन में समूचा विपक्ष आ गया था और बाद में भाजपा के भी करीब 50 सदस्य धरने पर बैठ गये थे। उनका कहना था कि जनप्रतिनिधियों की अफसर नहीं सुनते है और उनका उत्पीडन करते हैं।

इससे पहले मंगलवार को सदन की कार्यवाही के दौरान गाजियाबाद में लोनी के विधायक नंद किशोर गुर्जर अपनी जगह खड़े हो गये और अधिकारियो की उत्पीड़नात्मक कार्यवाही को लेकर कहने की अनुमति मांगने लगे। श्री दीक्षित ने इससे इंकार करते हुये उनसे बैठ जाने को कहा लेकिन विधायक उनकी बात को अनसुना करते हुये अपनी खड़े रहे। इस दौरान सदन में मौजूद विपक्षी सदस्य उनके समर्थन में लामबंद हो गये।

इस बीच संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने भी विधायक को इशारे से बैठ जाने को कहा लेकिन विधायक बाेलने की अनुमति मांगते रहे। इस दौरान सपा के सदस्य वेल पर आकर विधायक के समर्थन में नारेबाजी करने लगे। उनका कहना था कि सदन में जब सत्ता पक्ष के सदस्य को ही कुछ कहने की अनुमति नही है तो विपक्ष की क्या सुनी जायेगी।

विपक्षी ष्सदस्य को न्याय दोष् के नारे लगा रहे थे। इस बीच गुर्जर विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए। इस बीच सत्ता पक्ष के कई सदस्य गुर्जर के समर्थन पर आगे आ गये और अधिकारियाें पर मनमानी पूर्ण रवैया अपनाने एवं जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुनने का आरोप लगाते हुये शोरशराबा करने लगे। सदस्यों के शोरशराबे के बीच विधानसभा की कार्यवाही पहले आधे घंटे और फिर 15.15 मिनट के लिये दो बार स्थगित की गयी। बाद में सत्ता पक्ष के करीब 50 सदस्य और विपक्ष के अधिकांश सदस्य धरने पर बैठ गये।

ऐसी स्थिति की नजाकत को भांपते हुये संसदीय दल के नेता सुरेश खन्ना सदस्यों को मनाने पहुंचे लेकिन बात नहीं बनी जिसके बाद उप मुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा भी सदस्यों की मान मनौव्वल करने के लिये आये हालांकि सदस्यों ने उल्टे ही उन्हे सदस्यो की बात को गंभीरता से नहीं लेने का आरोप सहना पडा। आखिरकार विधानसभा अध्यक्ष ने बुधवार सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी।

गौरतलब है कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर को पिछली एक दिसम्बर को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था और सात दिन के भीतर जवाब मांगा था। गुर्जर का कहना था कि भाजपा में उनके खिलाफ साजिश हो रही हैं। नौकरशाहों के आगे उनके पक्ष को नहीं सुना गया।