नयी दिल्ली ,चक्रवात अम्फान के कारण कुछ राज्यो में भले ही बेहद तबाही मची है लेकिन यह लीची की फसल के लिए वरदान साबित हुई है।
चक्रवात अम्फान के कारण हुई वर्षा से न केवल लीची का आकार बड़ा होगा बल्कि इसकी मिठास बढ़ेगी , गूदे की मात्रा बढ़ेगी तथा इसका लाल रंग और निखर कर सामने आयेगा। वर्षा होने से जमीन में आयी नमी और तापमान में आई गिरावट के कारण लीची की फसल को ये फायदे होंगे।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र, मुज़फ़्फ़रपुर के निदेशक विशाल नाथ के अनुसार बिहार ,पश्चिम बंगाल तथा कुछ अन्य स्थानों में एक दो दिन के दौरान हुई वर्षा लीची के लिए वरदान बनकर उभरी है। प्राकृतिक रुप से पक कर लीची बाजार में आने वाली है लेकिन उससे पहले हुई वर्षा से शाही किस्म की लीची का आकार बड़ा होगा , गूदे की मात्रा बढ़ेगी , मिठास और खटास बेहतरीन होगी तथा इसका लाल रंग और निखरेगा ।
डॉ विशाल नाथ के अनुसार हाल हाल तक लीची का औसत वजन जो 17.50 ग्राम था वह अब बढ़ कर 20 ग्राम से अधिक हो जाएगा तथा हरा युक्त लाल रंग गहरा लाल हो जाएगा । लीची की मिठास 18 डिग्री ब्रिक्स से बढ़ कर 19 से 22 डिग्री ब्रिक्स तक हो जाएगी तथा गूदा 10.5 ग्राम से बढ़ कर 14 ग्राम तक हो जाएगा । अम्लता अभी 1.28 प्रतिशत है जो घटकर 0.5 प्रतिशत तक रह जाएगी तथा बीज का आकार 3.7 ग्राम से घटकर 2.8 ग्राम तक रह जाएगा ।
डॉ विशाल नाथ ने बताया कि लीची का लाल होना इसके परिपक्व होने का एकमात्र सूचकांक नहीं है । पिछले दिनों तेज धूप थी जिसके कारण भी कुछ स्थानों में लीची का रंग लाल हो गया था, इसका यह अर्थ नहीं है कि वह प्राकृतिक रुप से पक गया है । किसानों को लीची तोड़ने से अभी बचना चाहिए और बेहतर कीमत हासिल करनी चाहिए ।
किसानों को लीची पर कीटनाशकों का एक अतिरिक्त छिड़काव करना चाहिए जिसका प्रभाव दस दिन में समाप्त हो जाए । इसके लिए नीम के तेल के छिड़काव की सलाह दी गई है । लीची की चाइना किस्म के आने में करीब 25 दिन का समय बाकी है । इस स्थिति में किसान चाइना लीची के पेड़ में प्रति पेड़ 300 ग्राम यूरिया और 200 ग्राम पोटाश जमीन में मिलाकर उसकी सिंचाई कर दे तो उससे उन्हें काफी फायदा हो सकता है ।