लखनऊ, राज्यसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव के दांव से तिलमिलाई बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरूवार को कहा कि सपा को अपने किये का खामियाजा विधान परिषद चुनाव में भुगतने के लिये तैयार रहना चाहिये।
सुश्री मायावती ने कहा कि सपा ने बार बार बसपा के विश्वास काे छला है। वर्ष 2003 में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने उनके विधायकों को तोड़कर सरकार बना ली थी लेकिन 2007 के चुनाव में इसका जवाब उन्हे जनता ने सत्ता से बेदखल करके दे दिया था। इसी तरह पिछले साल लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करना उनकी बड़ी भूल थी जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दलित समाज के उम्मीदवार को राज्यसभा जाने से रोकने के लिये एक उद्योगपति का सहारा लिया और उनकी पार्टी के सात विधायकों को तोड़ा।
उन्होने कहा कि सपा प्रमुख का यह दांव उलटा पड़ा जब सपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी का पर्चा खारिज हो गया लेकिन अपनी इस हरकत का खामियाजा सपा को भुगतना पड़ेगा। जल्द ही एमएलसी चुनाव में बसपा इसका जवाब देगी जब सपा के एक उम्मीदवार को हराने के लिये उनकी पार्टी पूरा जोर लगा देगी। इसके लिये अगर उन्हे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समेत अन्य विपक्षी दलों का सहयोग लेना पड़े तो भी पार्टी इससे गुरेज नहीं करेगी।
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उन्होने सपा को समर्थन देने वाले पार्टी के सात बागी विधायकों को निष्कासित कर दिया है और अब वे कभी भी पार्टी के उम्मीदवार नहीं होंगे। अगर ये विधायक किसी दल में शामिल होते है अथवा कोई ऐसा कदम उठाते है जिससे दलबदल कानून का उल्लघंन होता हो, तो पार्टी तत्काल इन विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। उन्होने कहा कि इन विधायकों के किये का खामियाजा उनकी धर्म और जाति के लोगों को नहीं भुगतना पड़ेगा बल्कि उनकी पार्टी खासकर मुस्लिम समाज के उत्थान का काम पूरे दमखम से जारी रखेगी।
सुश्री मायावती ने कहा “ हमारी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए सपा से हाथ मिलाया था लेकिन उनके परिवारिक कलह के कारण बसपा के साथ गठबंधन कर भी वो ज्यादा लाभ नहीं उठा पाए। उन्होंने कहा “ मैं इस बात का भी खुलासा करना चाहती हूं कि जब हमने उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए सपा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया तो हमने इसके लिए बहुत मेहनत की, लेकिन जब से यह गठबंधन हुआ था तब से सपा प्रमुख की मंशा दिखने लगी थी।”
उन्होने कहा कि “ सपा का एक और दलित विरोधी चेहरा हमें कल राज्यसभा के पर्चों के जांच के दौरान देखने को मिला जिसमें सफल न होने पर ये ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह पार्टी जबरदस्ती बसपा और भाजपा के बीच सांठगांठ करके चुनाव लड़ने का गलत आरोप लगा रहे हैं। ”
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए को सत्ता में आने से रोकने के लिए हमारी पार्टी ने सपा सरकार में मेरी हत्या करने के षड्यंत्र की घटना को भुलाते हुए देश में संकीर्ण ताकतों को कमजोर करने के लिए सपा के साथ गठबंधन करके लोकसभा चुनाव लड़ा था। सपा के मुखिया गठबंधन होने के पहले दिन से ही सतीश चन्द्र मिश्रा को ये कहते रहे कि अब तो गठबंधन हो गया है तो बहनजी को दो जून के मामले को भुला कर केस वापस ले लेना चाहिए, चुनाव के दौरान केस वापस लेना पड़ा।”
सुश्री मायावती ने कहा, “ चुनाव का नतीजा आने के बाद इनका जो रवैया हमारी पार्टी ने देखा है, उससे हमें ये ही लगा कि केस को वापस लेकर बहुत बड़ी गलती करी और इनके साथ गठबंधन नहीं करना चाहिए था।”
बसपा से निष्कासित विधायकों में असलम राइनी, असलम अली चौधरी, मुजतबा सिद्दीकी, हाकिम लाल बिंद , हरगोविंद भार्गव , सुषमा पटेल और वंदना सिंह शामिल है।