नयी दिल्ली, कांग्रेस ने कहा है कि वस्तु एवं सेवाकर-जीएसटी से पिछले पांच साल में अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंची है और सरकार को इस पर सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और इसको सरल बनाने के लिए संसद में इस पर विस्तार से चर्चा करानी चाहिए।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदम्बरम तथा पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने शुक्रवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संयुंक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आज सरकार जीएसटी के पांच साल पूरे होने का जश्न मना रही है लेकिन इस नयी प्रणाली की खामियों के वजहों से इन पांच सालों में देश को नफे की बजाय भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से केंद्र तथा राज्यों के बीच परस्पर विश्वास कम हुआ है और राज्यों का केंद्र पर 75 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व बकाया हो चुका है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से देश की अर्थव्यवस्था के लिए रीढ़ की भूमिका निभाने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मझौले उद्योग-एमएसएमई क्षेत्र की इकाइयां बर्बाद हो रही हैं। इकाइयों के बंद होने से बड़ी संख्या में लाेग बेरोजगार हो गये हैं।
श्री चिदम्बरम ने कहा कि मोदी सरकार ने जिस तरह का जीएसटी लागू किया है उसमें जो नियम बनाए गये हैं उनके कारण कोई भी राज्य जीएसटी संग्रह का काम अच्छी तरह नहीं कर पा रहा है। इसके नियम टेढ़े हैं जबकि उन्हें सरल होना चाहिए। केंद्र को इस कर प्रणाली को लागू करते समय राज्यों को सहूलियत को भी देखना चाहिए लेकिन उसने इसे नजरअंदाज किया है।
कांग्रेस के दोनों नेताओं ने कहा कि जीएसटी अधूरा है और यही वजह है कि इसके नियमों में बराबर सुधार करने की जरूरत पड़ रही है। आधे अधूरे ढंग से तैयार जीएसटी के नियमों के कारण लोगों की दिक्कतें बढ रही है और इसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। देश में बड़ी संख्या में एमएसएमई में काम करने वाले लोगों और उनके परिवारों संकट खड़ा हो गया है।
उन्होंने कहा कि जीएसटी को सरल बनाने की जरूरत है और इसके लिए सरकार को सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और संसद में इस पर चर्चा करवाकर इसमें बुनियादी बदलाव किये जाने की जरूरत है। उनका कहना था कि जीएसटी में सही सुधार तब ही हो सकता है जब सभी दलों को इस पर चर्चा के लिए सरकार बुलाए। यदि सरकार जीएसटी पर सर्वदलीय बैठक करती है तो देश को एक सही और सटीक जीएसटी मिल सकता है।
भारत में आजादी के बाद अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में सबसे बड़े सुधार के तहत लम्बी चर्चाओं के बाद एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू किया गया था और जीएसटी अधिनियम के तहत केंद्रीय वित्तमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वाधिकार संपन्न जीएसटी परिषद गठित की गई है जिसमें सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को स्थान दिया गया है और परिषद के अब तक के प्राय: सभी निर्णय सर्व सम्मति से हुए हैं।