पटना, बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। सभी पार्टियां अपने संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए आम से लेकर खास लोगों को जोड़ने का काम भी कर रही हैं। ऐसे मे बाबा रामदेव की कोरोना की दवा कोरोनिल को लेकर सरकार से चल रहा विवाद चुनाव मे एक नया गुल खिला सकता है।
योग में लोकप्रियता और स्वदेशी की भावना को बढ़ाने के लिये बाबा ने 16 साल पहले ‘पंतजलि आयुर्वेद’ नामक कंपनी खड़ी की। इस कंपनी का कारोबार बढ़कर अब साढ़े 9 हजार करोड़ का हो गया है। देश भर में इसके 5 हजार से अधिक रिटेल स्टोर्स हैं।
जब बाबा रामदेव ने देश में कोरोना इलाज की आयुर्वेदिक दवा ‘कोरोनिल’ लांच की तो लोगों में आश्चर्य और गर्व का भाव एक साथ उभरा। बाबा के भक्तों ने इसमे स्वदेशी और आयुर्वेद की ताकत देखी , क्योंकि दुनिया भर में किसी भी पैथी में कोरोना की कोई गारंटीड दवा अभी तक नहीं बनी है। बाबा रामदेव ने दावा किया कि इस गोली को खाने से कोरोना मरीज 5 से 14 दिनों में ठीक हो जाता है। कहा गया कि इस दवा से सात दिन में कोरोना मरीज सौ फीसदी ठीक हो चुके हैं।
इस ‘दिव्य लांचिंग’ से माना गया कि दवा को भारत सरकार ने हरी झंडी दे दी है। लेकिन लांचिंग के दूसरे ही दिन केन्द्रीय आयुष मंत्रालय ने यह कहकर पल्ला झाड़ा कि उसकी जानकारी में ऐसी कोई दवा नहीं है। उसने ‘दिव्य कोरोना किट’ के प्रचार-प्रसार पर भी पाबंदी लगा दी। उत्तराखंड की आयुर्वेद ड्रग्स लाइसेंस अथॉरिटी ने भी बाबा को नोटिस थमा दिया है। उधर बाबा के खिलाफ राजस्थान, बिहार आदि कई राज्यों में मामला दर्ज हो गया है।? ये लोगों के लिये आश्चर्य की बात है , क्योंकि भाजपा सरकारों में बाबा का रसूख कितना है, सबको पता है।
तो क्या बाबा और उनकी कंपनी पतंजलि ने केन्द्र और राज्य सरकार दोनो को अंधेरे में रखा या फिर ये दोनो सरकारें अपना चेहरा बचाने के लिए बाबा को नोटिस जारी कर रही हैं? क्यों इस दवा पर रोक लगाई? क्या इसके पीछे दवा लाॅबी का दबाव है या बीजेपी का दबाव या फिर अब सरकार नही चाहती कि बाबा और आगे बढ़ें ?
बहरहाल, कोरोना महामारी की दवा ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ पर रोक लगाकर मोदी सरकार ने बाबा रामदेव को तगड़ा झटका दे दिया है। बाबा के विरोध को लेकर आम जनता मे यह संदेश जा रहा है कि ऐसा सरकार के इशारे पर हो रहा है।
बाबा रामदेव चुप बैठने वालों मे नहीं हैं। वह समय आने पर जरूर जवाब देंगे। बिहार चुनाव सर पर है और बाबा रामदेव की एक बड़ी फैन फालोइंग बिहार से आती है। क्योंकि बाबा के योग और आयुर्वेद से बिहार जैसे पिछड़े राज्य मे बीमारी से बहुत लोगों को मुक्ति मिली है। अब तक के चुनावों मे बाबा रामदेव ने हमेशा बीजेपी का सपोर्ट किया है और अपने समर्थकों के वोट ट्रांसफर करायें हैं। लेकिन क्या अबकी भी ऐसा होगा। इसकी संभावना बिल्कुल नही है।
सरकार की हरकतों से नाराज बाबा समर्थकों मे बीजेपी और मोदीसरकार के खिलाफ गुस्सा जरूर बढ़ रहा है। जिसका नुकसान बीजेपी को बिहार चुनाव मे हो सकता है। इसको लेकर दलितों पिछड़ों मे भी बीजेपी के खिलाफ माहौल खड़ा हो रहा है। यादव महासभा तो खुलकर बाबा रामदेव के समर्थन मे आ गई है।
बाबा अब लोकप्रिय होने के साथ साथ आर्थिक रूप से भी काफी मजबूत हैं। संगठन की भी ताकत बाबा के पास है। ऐसी स्थिति मे बाबा से पंगा लेना बिहार चुनाव मे बीजेपी को महंगा पड़ सकता है।