अवैध खनन मामले में सीबीआई की 22 ठिकानों पर छापेमारी
June 12, 2019
नयी दिल्ली, सीबीआई अवैध खनन के एक मामले में 22 ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के तीन आवासीय परिसर भी शामिल हैं। यह जानकारी अधिकारियों ने बुधवार को दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस छापेमारी में अमेठी में प्रजापति के तीन मकान शामिल हैं। यह छापेमारी उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में 11 स्थलों और दिल्ली एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में कई स्थानों पर चल रही है। अखिलेश यादव नीत उत्तर प्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार में प्रजापति के पास खनन प्रभार था और उन्हें समाजवादी पार्टी में एक प्रभावशाली नेता माना जाता है।
प्रजापति वर्तमान समय में बलात्कार के एक मामले में जेल में हैं। चित्रकूट की एक महिला ने आरोप लगाया है कि मंत्री ने खनन का लीज आवंटित करने के नाम पर उसका उत्पीड़न किया। हालांकि मंत्री ने आरोप से इनकार किया है। अधिकारियों ने कहा कि 2012..2016 के दौरान हमीरपुर जिले में गौण खनिज के खनन की लीज के आवंटन में नेताओं और अधिकारियों द्वारा नियमों एवं प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। गौण खनिज में रेत, बजरी आदि आता है।
अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई द्वारा दर्ज किये गए मामले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला भी आरोपी हैं। प्राथमिकी में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश काडर की 2008 बैच की आईएएस अधिकारी चंद्रकला 2012-014 के दौरान हमीरपुर जिले की जिलाधिकारी थीं, जब उन्होंने अपने जिले में खनन ठेके आवंटन में ई-टेंडर व्यवस्था का कथित रूप से उल्लंघन किया था।प्राथमिकी के अनुसार अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक राज्य के मुख्यमंत्री थे और 2012 से 2013 तक उनके पास खनन प्रभार भी था। वह भी जांच के घेरे में हैं।
बाद में यह प्रभार प्रजापति को आवंटित कर दिया गया था जब उन्हें 2013 में खनन मंत्री बनाया गया था। प्रजापति को 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया था। अवैध खनन मामले में यह तीसरी प्राथमिकी है जो सीबीआई ने दो जनवरी 2019 को दर्ज की थी। उससे करीब ढाई वर्ष पहले एजेंसी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले की जांच का निर्देश दिया था। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उसने पहली बार छापेमारी की है।
उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई 2016 को सीबीआई को राज्य में अवैध खनन की जांच करने का निर्देश दिया था। सीबीआई ने उसके बाद सात प्रारंभिक जांच दर्ज की थी जिसके बाद शामली और कौशांबी से संबंधित दो जांच को 2017 में प्राथमिकी में तब्दील कर दिया गया था।