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यूपी में इस बैंक के महाप्रबंधक को रिश्वत लेते हुये सीबीआई ने किया गिरफ्तार

मुरादाबाद , उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम ने रविवार को प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक के महाप्रबंधक को 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों धर दबोचा।

सूत्रों के अनुसार यह रिश्वत गाजियाबाद की रिकवरी एजेंसी से एनपीए (नॉन परफार्मिंग एसेट) की रिकवरी के लिए टेंडर दिए जाने के लिए मांगी गई थी। सीबीआई ने बैंक महाप्रबंधक के घर से रिश्वत के रूप में ली गयी पांच लाख रुपये की नकदी और एलईडी टीवी कब्जे में ले लिया।

सीबीआई जांच टीम के सूत्रों ने बताया कि बैंक के महाप्रबंधक रविकांत को घर से पकड़ने के बाद प्रथमा बैंक मुख्यालय ले जाया गया। वहां भी रिकार्ड खंगाला जा रहा है। बैंक अधिकारी बैंक मुख्यालय से थोड़ी ही दूरी पर रामगंगा विहार में रहते हैं। रविवार दोपहर उनके घर पर कार से कुछ लोग आए थे। अपने साथ कुछ सामान लाए और उनके घर में रख दिया। पड़ोस में रहने वाले लोगों ने बताया कि करीब पांच बजे रविकांत को कुछ लोगों को विदा करते हुए देखा गया। अचानक से आसपास घूम रहे लोगों ने उन्हें दबोच लिया।

इसके बाद टीम उन्‍हें घर के अंदर ले गई। थोड़ी ही देर में अंदर से सामान लाकर गाड़ी में रखा जाने लगा। करीब आधा घंटे बाद सीबीआइ की टीम उन्हें अपने साथ प्रथमा बैंक मुख्यालय ले गई। सीबीआई के करीब 15 अधिकारी तीन गाड़ियों से पहुंचे थे। सीबीआई के अधिकारियों ने प्रधान कार्यालय के मुख्य गेट को बंद कर पूछताछ शुरू कर दी है। सीबीआई ने बैंक के जीएम के घर भी तलाशी ली है जहां से रिश्वत के पैसे और एलसीडी दोनों बरामद की है।

आरोप है कि जीएम रिकवरी एजेंसी से पांच लाख रुपए की रिश्वत की मांग कर रहे थे। सीबीआई की टीम ने जीएम रविकांत के घर और प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक के प्रधान कार्यालय पर एक साथ छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि सनराइज रिकवरी एजेंसी के संचालक सैफ जमीर से उनका काम कराने के एवज में जीएम ने रिश्वत की मांग की थी।

गौरतलब है कि प्रथमा यूपी ग्रामीण बैंक की इससे पहले भी सीबीआई कि कई जांच चल रहे हैं। अमरोहा से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले साल ही सीबीआई में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसके अतिरिक्त एक अन्य मामले में भी सीबीआई बैंक के अधिकारियों की जांच कर रही है।

प्रथमा बैंक करीब 200 शाखाओं में एनपीए हुए लोन की रिकवरी के लिए टेंडर होना है। इसलिए मोटी रकम की मांग की जा रही थी। इसके लिए दो एजेंसी ने आवेदन किया था। बताया जा रहा है कि गाजियाबाद की रिकवरी एजेंसी के बजाय दूसरी कंपनी को रुपये लेकर टेंडर देने की बात फाइनल हो चुकी थी। एजेंसी को जब इस बात की भनक लगी तो उसने रुपये देकर टेंडर दिलाए जाने पर सहमति जता दी।

बताया जा रहा है कि पांच लाख रुपये 15 अगस्त काे दे दिए गए थे पर बाद में और रुपये और सामान की मांग की गई। इसके बाद एजेंसी ने सीबीआइ से संपर्क किया। रविवार को एजेंसी के सह संचालक और सीबीआई की 20-25 सदस्यीय टीम ने पूरा प्लान बनाकर रविकांत को उनके घर से रंगे हाथ पकड़ा है।