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चन्द्रयान 2 का संपर्क टूटने का ये है कारण, बोले इसरो चीफ… ?

नई दिल्ली, चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने वाला था लेकिन, सतह से 2.1 किलोमीटर की दूरी पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन का लैंडर से संपर्क टूट गया।

उसके बाद से ही वैज्ञानिक इसके कारण का पता लगाने में जुटे हुए हैं।

इसरो चीफ सिवन ने बताया कि लैंडर विक्रम ने हार्ड-लैंडिंग ही की होगी।

उन्होंने कहा कि ऑर्बिटर पर लगे कैमरे से उसकी लोकेशन पता चली है।

जब उनसे यह पूछा गया कि क्या हार्ड-लैंडिंग के दौरान लैंडर को नुकसान पहुंचा है तो उन्होंने कहा कि अभी हमें यह नहीं पता चला है। इसरो चीफ ने कहा कि लैंडर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश लगातार जारी है।

सिवन ने बताया, ‘चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर ऊंचाई तक विक्रम की लैंडिंग प्रकिया योजना के हिसाब से चल रही थी।

उसके बाद लैंडर से ग्राउंड स्टेशन का संपर्क टूट गया।

उन्होंने कहा कि डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।

कई वैज्ञानिकों ने संपर्क टूटने को लेकर कई अनुमान लगाए हैं।

पहले माना जा रहा था कि लैंडिंग के दौरान विक्रम की रफ्तार बहुत अधिक थी और उसे रोकने के लिए सही ढंग से ब्रेक नहीं लग पाया था। हालांकि, अब वैज्ञानिकों का अनुमान है कि शायद ज्यादा तेज ब्रेक लगने के कारण विक्रम अनियंत्रित हो गया और उससे संपर्क टूट गया।

इसरो के कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे बहुत अधिक रफ्तार से चल रही कोई गाड़ी तेज ब्रेक लगने के कारण पलट जाती है शायद वैसा ही विक्रम के साथ हुआ होगा।

बता दें कि करीब 30 किमी की दूरी से चांद की सतह पर उतरने के दौरान विक्रम ने 10 मिनट का रफ ब्रेकिंग फेज सफलतापूर्वक पार कर लिया था।

इस चरण में उसकी गति को 1680 मीटर प्रति सेकंड से 146 मीटर प्रति सेकंड पर लाया गया था।

फिर पांच किलोमीटर के फाइन ब्रेकिंग फेज के दौरान हुई गड़बड़ी के चलते मिशन कंट्रोल रूम ने लैंडर से संपर्क खो दिया।

 इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि रफ ब्रेकिंग फेज के दौरान विक्रम के पैर क्षैतिज (हॉरिजॉन्टल)अवस्था में थे।

फाइन ब्रेकिंग से पहले पैरों को 90 डिग्री मोड़कर उर्ध्वाधर (वर्टिकल) करना था।

संभवत : इस दौरान तेजी से ब्रेक लगने से ही लैंडर की अवस्था बदल गई थी।

वह सही से लैंड नहीं हुआ जिसके चलते धरती से उसका संपर्क टूट गया।

कुछ अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने कहा है कि हार्ड-लैंडिंग के दौरान लैंडर विक्रम को नुकसान पहुंचने की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता।

एक विशेषज्ञ ने बताया कि जिस गति से उसे सॉफ्ट-लैंडिंग करनी थी, उस गति से उसने नहीं किया है। हो सकता है कि वह (लैंडर) अपने चारों पैरों पर न हो।

झटकों (हार्ड-लैंडिंग की वजह से) से लैंडर को नुकसान पहुंचा होगा।

एक अन्य सीनियर स्पेस एक्सपर्ट ने कहा कि जब सिस्टम सही से काम नहीं करता हो तो यह (लैंडर) तेजी से आगे बढ़ेगा और चांद से टकराएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है।’

ऐसा लगता है कि लैंडर चांद की सतह से तेजी से टकराया है और इस कारण वह पलट गया है। अब उसकी स्थिति ऊपर की ओर बताई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी संभावना भी है कि इससे लैंडर टूट गया हो। इसरो के वैज्ञानिक डेटा का विश्लेषण कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि हार्ड-लैंडिंग से लैंडर को नुकसान पहुंचा है या नहीं, अगर हां तो कितना नुकसान हुआ है।