मथुरा, उत्तर प्रदेश के मथुरा में इस वर्ष का प्रथम छप्पन भोग महोत्सव अनन्त चतुर्दशी के अवसर पर 12 सितंबर को गिर्राज जी की तलहटी में आयोजित किया जा रहा है।
गिरिराज सेवा समिति मथुरा के संस्थापक अध्यक्ष मुरारी अग्रवाल ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि छप्पन भोग एक सामूहिक आराधना का पर्व है और यह अनन्त चतुर्दशी के अवसर पर 12 सितंबर को गिर्राज जी की तलहटी में आयोजित किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि मान्यताओं के अनुसार छप्पनभोग महोत्सव करने की सलाह स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने उस समय ब्रजवासियों को दी थी जब इन्द्र के कोप के रूप में अतिवृष्टि से रक्षा करने के लिए उन्होंने स्वयं अपनी सबसे छोटी उंगुली पर गोवर्धन पर्वत को सात दिन और सात रात धारण किया था।
बाद में वे भगवान श्रीकृष्ण एक स्वरूप से गोवर्धन पर्वत में विराजमान हो गए थे और एक स्वरूप से ब्रजवासियों से गिर्राज का पूजन करने को कह रहे थे ।
उस समय ब्रजवासियों ने 56 प्रकार के व्यंजन बनाकर गिर्राज जी का पूजन किया था और तभी से छप्पन भोग परंपरा चली आ रही है ।
श्री अग्रवाल ने बताया कि इसे अनंन्त चतुर्दशी के पावन पर्व पर जन कल्याण के लिए आयोजित किया जाता है।
अपना सारा राजपाट हारकर जंगल में भीषण कष्ट भोग रहे पाण्डवों को भगवान श्रीकृष्ण ने अनन्त चतुर्दशी का वृत करने और अनंता घारण करने की सलाह दी थी तथा इसके करने से उनके कष्ट दूर हो गए थे।
ब्रज में छप्पन भोग का आयोजन दो प्रकार से यानी अकेले व्यक्ति द्वारा और सामूहिक रूप से किया जाता है।
अकेले व्यक्ति द्वारा इसे मंदिरों में ही आयोजित किया जाता है जबकि सामूहिक रूप से गिर्राज जी के श्रीचरणों में गिर्राज तलहटी में आयोजित किया जाता है।
ठाकुर जी से सामूहिक आराधना का पर्व बनाना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने इसमें ब्रजवासियों को शामिल किया था।
इससे संबंधित हर कार्य शुभ महूर्त देखकर वैदिक मंत्रों के मध्य किया जाता है।
इसी श्रंखला में छप्पन भोग बनाने की सामग्री लेकर अन्नपूर्णा रथ गिर्राज जी की घ्वजा के साथ गिरिवर निकुंज गोवर्धन पहुंच गया है ।
संस्थापक अध्यक्ष श्री अग्रवाल ने बताया गाय के शुद्ध घी से 21 हजार किलो प्रसाद बनाने के लिए लखनऊ, आगरा, हाथरस,इंदौर और रतलाम के अलावा दक्षिण भारत के मदुरई से कारीगर गोवर्धन पहुंच गए है ।
ये कारीगर वैदिक रीति से रमेश उस्ताद के निर्देशन में 56 भोग बना रहे हैं ।
तीन दिवसीय छप्पन भोग महोत्सव 10 सितम्बर को सप्त कोसी परिक्रमा में निकलने वाले ब्रज के डोले के साथ होगा, जिसमें हजारो लोग एक साथ गिरि गोवर्धन की परिक्रमा करेंगे।
अगले दिन 11 सितम्बर को महाभिषेक होगा और 12 सितम्बर को छप्पन भोग दर्शन दोपहर दो बजे से रात्रि 12 बजे तक होगा।
उन्होंने बताया कि 12 सितम्बर को भगवान प्रभू का श्रृंगार हीरे पन्ना मोती पुखराज नीलम गोमेद जैसे रत्नों से शरद मुखिया के द्वारा किया जाएगा।
इसके लिए कोलकाता और बेंगलुरु के कारीगर राजमहल बना रहे हैं ।
आयोजक इस कार्यक्रम के माध्यम से ’’हरा गोवर्धन-स्वच्छ गोवर्धन’’ का संदेश भी देने के प्रयास कर रहे हैं।
कुल मिलाकर इस छप्पन भोग के लिए ब्रजवासियों में जबर्दस्त उत्साह है।