आगर मालवा, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में गौ-वंश संरक्षण के लिए गौ-अधिनियम बनाया जाएगा। आंगनवाड़ियों में बच्चों को अण्डे की जगह गाय का दूध दिया जाएगा और प्रदेश में गौ वंश से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कल जिले के सालरिया गौ-अभ्यारण्य में गोपाष्टमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कहा कि प्रदेश में गायों के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौ-केबिनेट गठित की गई है जो कि देश-विदेश में गौ-प्रबंधन का अध्ययन कर प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ गौ-प्रबंधन लागू करेगी, जिससे यहां गायों की अच्छी से अच्छी देखभाल हो तथा गौ-उत्पादों का व्यापक स्तर पर उत्पादन एवं विक्रय हो सके।
इस कार्यक्रम में श्री चौहान ने कहा कि हमारी संस्कृति में गौमाता में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास माना जाता है। गाय की पूजा से ही सबकी पूजा हो जाती है। प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी मनाई जाती है। गोपाष्टमी पर गौपूजा का विशेष महत्व है। आज ही के दिन भगवान श्रीकृष्ण एवं बलराम पहली बार गाय चराने जंगल गए थे।
उन्होंने कहा कि हम अपने गौवंश को इधर-उधर नहीं भटकने देंगे। सरकार द्वारा प्रदेश में लगभग दो हजार गौशालाएं खोली जा रही हैं, जिनके संचालन के लिए सरकार के साथ समाज की भी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है, जिससे गौ-वंश की पूरी देखभाल हो सके। गौ-वंश के उपचार के लिए प्रदेश में गौवंश संजीवनी योजना फिर से शुरू की जाएगी। पूर्ववर्तीय सरकार द्वारा बंद किये गए गौ-सदन फिर से प्रारंभ किए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि गौ-वंश को अधिक से अधिक चारा उपलब्ध कराने के लिए वन विभाग आदि की खाली पड़ी भूमि पर चारागाह विकसित किए जाएंगे। इसके लिए पृथक नीति भी बनाई जाएगी। गोशालाओं के निर्माण के लिए शासकीय भूमि के आवंटन के नियम बनाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि पंचायतों में गौ-वंश के प्रबंधन के लिए राज्य वित्त आयोग की राशि का उपयोग किया जाएगा। गौशालाओं में बिजली, पानी की व्यवस्था के लिए पंच-परमेश्वर की राशि इस्तेमाल की जा सकेगी। गौशालाओं के प्रबंधन के लिए जनपदवार नोडल अधिकारी नामांकित किए जा रहे हैं, जो गौशालाओं के समुचित प्रबंधन के लिए जिम्मेवार रहेंगे।