नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर बृहस्पतिवार को ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ’ (सीडीएस) का पद सृजित किए जाने की महत्वपूर्ण घोषणा की ।
लाल किले के प्राचीर से दिए गए भाषण में मोदी ने महत्वपूर्ण ऐलान करते हुए कहा कि सेना के तीन अंगों के प्रमुख के तौर पर ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ’ (सीडीएस) का पद सृजित किया जाएगा।
मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने भाषण में यह महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि सीडीएस सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल सुनिश्चित करेगा और उन्हें प्रभावी नेतृत्व देगा।
‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ’ (सीडीएस) के पद की मांग 1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद से की जा रही है।
1999 में हुए कारगिल युद्ध के बाद जब 2001 में तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने समीक्षा की तो पाया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी रही। अगर तीनों सेनाओं के बीच ठीक से तालमेल होता तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। हालांकि तब वाजपेयी सरकार में मंत्रियों के समूह की सिफारिश पर सेना के तीनों अंगों के बीच सहमति न बन पाने के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता वाले जीओएम की सिफारिशों को तत्कालीन कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी(सीसीएस) ने स्वीकार कर लिया था। दरअसल आर्मी और नेवी के अफसरों ने सीडीएस पद का तब सपोर्ट किया था, मगर एयरफोर्स ने विरोध किया था। एडमिल अरुण प्रकाश और पूर्व ऑर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह ने सेना के तीनों अंगों में सुधार और इंटीग्रेशन के लिए इस पद की जरूरत बताई थी, जबकि पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एस कृष्णास्वामी ने चीफ ऑफ डिफेंस के पद का विरोध करते हुए इसे अनावश्यक बताया था।वहीं राजनीतिक स्तर से भी इस पद को बनाने की इच्छाशक्ति नहीं दिखाई गई।
बाद में बीच का रास्ता निकालते हुए बाद में तीनों सेनाओं के बीच उचित समन्वय के लिए Chiefs of Staff Committee यानि (CoSC) का पद सृजित किया गया. हालांकि इसके चेयरमैन के पास कोई खास शक्ति नहीं होती, बस वह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल करता है.
मौजूदा समय प्रचलित चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख रहते हैं। सबसे वरिष्ठ सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। यह रस्मी पद वरिष्ठतम सदस्य को रोटेशन के आधार पर रिटायरमेंट तक दिया जाता है। धनोआ 31 मई से सीओएससी के चेयरमैन बने हैं। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमेन के पास तीन सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है। देश के सामने मौजूद बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सामान्य रणनीति तैयार करने का दायित्व भी सीओएससी का ही होता है।
आज करीब 20 साल बाद 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया है। विस्तृत भूमि, लंबी सीमाओं, तटरेखाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों को सीमित संसाधनों से निपटने के लिए भारत के पास एकीकृत रक्षा प्रणाली के लिए चीफ ऑफ डिफेंस पद की बहुत जरूरत थी।
इसके बन जाने से युद्ध के वक्त तीनों सेनाओं तालमेल के साथ काम कर सकेंगी। सिंगल प्वॉइंट से आदेश जारी होने से सेनाओं की मारक क्षमता और प्रभावी होगी। क्योंकि तब सेना के तीनों अंगों के बीच किसी तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं होगा।
अमेरिका, चीन, यूनाइटेड किंगडम, जापान सहित दुनिया के कई देशों के पास चीफ ऑफ डिफेंस जैसी व्यवस्था है। नॉटो देशों की सेनाओं में ये पद हैं।