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चीफ जस्टिस पर यौन शोषण के आरोप लगाने वाली महिला पर, कोर्ट ने की ये कार्रवाही

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन कदाचार के आरोप लगाने वाली उच्चतम न्यायालय की पूर्व महिला कर्मचारी के प्रकरण पर कोर्ट ने बड़ा निर्णय लिया है।

दिल्ली की एक अदालत ने उच्चतम न्यायालय की उस पूर्व महिला कर्मचारी के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी का मामला बंद कर दिया है जिसने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के खिलाफ यौन कदाचार के आरोप लगाए थे।

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न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय जांच समिति ने इस साल मई में प्रधान न्यायाधीश को क्लीन चिट दे दी थी। समिति के अनुसार महिला द्वारा लगाए गए आरोपों में उसे ‘‘कोई आधार नहीं मिला।’’

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना ने मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।

इससे पहले शिकायतकर्ता हरियाणा के झज्जर निवासी नवीन कुमार ने कहा कि वह याचिका का विरोध नहीं कर रहा और वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता है।

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अदालत ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता ने कहा कि वह इस मामले में पुलिस द्वारा की गयी जांच से संतुष्ट है। उसने यह भी कहा कि वह कोई विरोध याचिका दायर नहीं करना चाहता और इसलिए, क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार किया जा सकता है क्योंकि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता है।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए बयान और मामले में पुलिस द्वारा की गई जांच, तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए क्लोजर रिपोर्ट यहां स्वीकार की जाती है।’’

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इससे पहले अदालत ने छह सितंबर को पूर्व महिला कर्मचारी की जमानत रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी।

पुलिस ने 12 मार्च को महिला को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की थी क्योंकि शिकायतकर्ता ने कथित तौर पर दावा किया था कि उसे न्यायालय की पूर्व कर्मचारी और उसके सहयोगियों द्वारा धमकी दी जा रही है।

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कुमार द्वारा तिलक मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दिए जाने के बाद तीन मार्च को महिला के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश के संबंध में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

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कुमार ने आरोप लगाया था कि महिला ने उसके साथ 50,000 रुपये की धोखाधड़ी की। कुमार ने दावा किया था कि सर्वोच्च न्यायालय में नौकरी दिलाने के एवज में रिश्वत के एक भाग के तौर पर महिला ने यह रकम ली थी।

मामले की जांच के दौरान महिला को 10 मार्च को गिरफ्तार किया गया। अगले दिन अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। 12 मार्च को महिला को जमानत मिल गई थी।

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