चीन, करॉना वायरस से पूरी दुनिया को बचाने के लिये चीन सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। चीन का एक प्रांत हुबेई है जिसकी आबादी छह करोड़ है। चीन की सरकार ने अब इसे इसकी किस्मत पर छोड़ दिया है। करॉना वायरस से मरने वाले 97 फीसदी लोग यहीं से हैं। जबकि करॉना वायरस को लेकर मीडिया में चर्चा वुहान की है। दरअसल हुबेई की राजधानी है वुहान।
वुहान में एक करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। इसे दूसरे दर्जे का शहर माना जाता है। विकास के मामले में यह शंघाई, पेइचिंग और गुआंगझाऊ से पिछड़ा हुआ है। करॉना वायरस के रहस्यमय रोगाणु ने सबसे पहले यहीं दस्तक दी।मरने वालों की तादाद दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। लोकल हेल्थ सिस्टम की हालत खराब हो चुकी है। मरीज इतने हैं कि अस्पताल में पांव रखने तक की जगह नहीं है। 23 जनवरी को चीन की सरकार ने पूरे हुबेई प्रांत को ही अलग-थलग कर दिया।
चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कड़े निर्देश जारी किए हैं। इसके मुताबिक हुबेई से कोई भी बाहर नहीं जा सकता। मकसद है वायरस को फैलने से रोकना ताकि पूरी दुनिया को बचाया जा सके। वुहान के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल यांग गांगहुन कहते हैं कि अगर पूरे राज्य की घेराबंदी नहीं की गई होती तो बीमार लोग इलाज के चक्कर में कहीं भी जा सकते थे। इससे पूरा चीन जानलेवा वायरस की जद में आ जाता। इससे लोगों का जीना दुश्वार हो गया है लेकिन ये ज़रूरी था। समझिए ये सब जंग लड़ने जैसा है।
हुबेई में आईसीयू वाले 110 अस्पताल हैं। यहां पैर रखने की जगह नहीं है। अलग-थलग पड़ने के कारण यहां ग्लव्स, प्रोटेक्टिव कपड़ों की कमी हो गई है। लोगों से कहा जा रहा है कि पानी कम पीएं ताकि टॉयलेट न जाना पड़े क्योंकि दस्ताने वगैरह बदलने पड़ेंगे।’ सरकार के 8000 मेडिकल वर्कर हुबेई में काम कर रहे हैं।
मेडिकल टेस्ट सेंटर चौबीसों घंटे खोल कर रखे गए हैं। अब धीरे-धीरे लोगों में निराशा घर करने लगी है। टेस्ट के लिए सैंपल देना हो तो आठ घंटे लाइन में लगना पड़ता है। हालांकि दंगे जैसी स्थिति नहीं है।