लखनऊ, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भारत के प्रधानमंत्री को बड़ा झटका दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई बैठक में पूर्वांचल के विकास के लिए प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र को ही बाहर कर दिया गया है।
इस परियोजना को 2016 में अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते तैयार की गई थी। लेकिन सूबे में सरकार बदलते ही प्राथमिकता भी बदल गई और एम्स की ही तर्ज पर इस महत्वपूर्ण विकास योजना से बनारस को बाहर कर गोरखपुर को शामिल कर लिया गया है। इतना ही नहीं इस परियोजना से मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ को भी बाहर कर दिया गया है।
2016 में पूर्व सपा सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को भी जोड़ा था। लेकिन सूबे में 2017 में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद आई भाजपा सरकार ने पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के पूर्व प्रस्ताव में एक्सप्रेस-वे से राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच-223/28 (आजमगढ़-वाराणसी सेक्शन) तक 12.5 किलोमीटर लंबाई का लिंक प्रस्तावित किया गया था। एनएचएआई द्वारा ब शहर के लिए बाइपास प्रस्तावित करने, जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 233/28 से वाराणसी को आगे जोड़ेगा, के दृष्टिगत वाराणसी लिंक को पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना से हटाया गया है। हालांकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-233/28 से प्रवेश व निकासी के लिए इंटरचेंज प्रस्तावित है जिससे वाराणसी की कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। हालांकि पूर्व के प्रस्ताव में संशोधन के बाद पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे परियोजना में गोऱखपुर को शामिल कर लिया गया है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे की लंबाई 89 किलोमीटर है।
बता दें कि यूपी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की ड्राइंग व डिजाइन बदल दी गई है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने लखनऊ से गाजीपुर तक बनने वाले 340.824 किलोमीटर लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे से वाराणसी का लिंक हटा दिया है। गत दिनों भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के साथ हुई बैठक में चेयरमैन एनएचएआई द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में 10 अक्टूबर 2017 को आयोजित बैठक में परियोजना में प्रस्तावित मीडियन की चौड़ाई पूर्व में प्रस्तावित 22.50 मीटर से कम कर के 5.5 मीटर रखने, सभी संरचनाओं को 08 लेन चौड़ा बनाने तथा पेवमेंट की डिजाइन पूर्व में प्रस्तावित 10 वर्ष के स्थान पर 15 वर्ष करने का निर्णय लिया गया।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के वर्ष 2016 में गठित आगणन में सिविल कार्यों के प्रावधानों में से मुख्यतः मीडियन की चौड़ाई 22.5 मीटर से कम करके 5.5 मीटर करने से मिट्टी की मात्रा में बचत के कारण मिट्टी पर रायल्टी फीस समाप्त हो जाने, वाराणसी लिंक की आवश्यकता न होने के कारण इसका प्रावधान समाप्त करने, वे साइड एमेनिटीज, टॉयलेट ब्लाक, ओएफसी केबिल व सोलर प्लांट का कार्य अन्य माध्यमों से कराए जाने का निर्णय लिया गया है। बताया जा रहा है कि इससे एटीएमएस के 50 प्रतिशत कार्य कम करने के कारण परियोजना के सिविल कार्यों की लागत में1763.15 करोड की बचत हुई है।