नई दिल्ली, कोरोना एंटीबॉडी रैपिड किट की खरीद को लेकर मोदी सरकार और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) कांग्रेस ने सवाल उठाया है.
कोरोना एंटीबॉडी रैपिड किट की खरीद को लेकर मोदी सरकार और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) सवालों के घेरे में है. कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि आईसीएमआर को 245 रुपये में आयात की गई एंटीबॉडी टेस्ट किट को 600 रुपये प्रति पीस में क्यों खरीदना पड़ा. आशा है कि सरकार इसे स्पष्ट करेगी.
कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा, ‘हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले ने एक स्थायी सवाल उठाया है. आईसीएमआर को 245 रुपये में आयात की गई किट को 600 रुपये में क्यों खरीदनी पड़ी. महामारी के बीच में किसी को गरीब की कीमत पर लाभ नहीं देना चाहिए. आशा है कि सरकार इसे स्पष्ट करेगी.’
भारतीय डिस्ट्रीब्यूटर रीयल मेटाबॉलिक्स से भारत सरकार ने Covid-19 टेस्ट किट ऊंचे दामों पर खरीदा है. वितरक और आयातक के बीच कानूनी मुकदमेबाजी होने और यह मामला दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचने के बाद इस बात का खुलासा हुआ है. फिलहाल, गलत नतीजे देने से बाद कई राज्यों ने इस टेस्ट किट के उपयोग पर रोक लगा रखी है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि फिलहाल की स्थिति को देखते हुए कोविड-19 टेस्ट किट 400 रुपये से ऊपर के रेट पर नहीं बेची जानी चाहिए. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोनावायरस को नियंत्रित करने के लिए टेस्ट करने बेहद जरूरी है, ऐसे में टेस्ट किट का कम से कम रेट पर बेचा जाना भी उतना ही जरूरी है.
हाईकोर्ट ने आदेश उन तीन निजी कंपनियों को दिया है, जिन्होंने 10 लाख किट चीन से भारत लाने का कॉन्ट्रैक्ट है. दरअसल रेयर मेटाबॉलिक्स लाइफ़ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्क फार्मास्यूटिकल्स की तरफ से दिल्ली हाई कोर्ट में यह याचिका लगाई गई थी.
इन दोनों कंपनियों ने भारत में कोविड 19 टेस्ट किट को भारत मे लाने के लिए मैट्रिक्सलेब के साथ समझौता किया था. मैट्रिक्स लैब 7 लाख 24 हजार कोविड-19 टेस्ट किट देने के बाद बाकी की 2 लाख 76 हज़ार किट तब तक जारी करने से इनकार कर रहा था, जब तक कि उसको पूरा पैसा नहीं मिल जाए.