नयी दिल्ली, कांग्रेस ने देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ संक्रमण के लगातार बढ़ रहे मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए बीजेपी सरकार की रणनीति पर सवाल उठाया है ?
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोरोना वायरस संक्रमितों के मामले 60 हजार के पार हो चुके हैं तथा यह संख्या लगातार बढ़ रही है और किसी को पता नहीं है कि कब तक इस महामारी से निजात मिल सकेगी। श्री मोदी ने पहला लॉकडाउन शुरू करते हुए देश की जनता से महामारी पर नियंत्रण के लिए 21 दिन का समय मांगा था। यह अवधि खत्म होने पर उन्होंने खुद देश के सामने आकर तीन मई तक लॉकडाउन को बढाया और तीसरी बार लॉकडाउन 17 मई तक बढ़ाया तो वह सामने नहीं आए और सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर तीसरा लॉकडाउन लागू कर दिया।
श्री माकन ने कहा कि दक्षिण कोरिया तथा जर्मनी जैसे कई मुल्कों ने बहुत जल्द कोरोना वायरस को हराने में सफलता पा ली है। उनकी सफलता की सबसे बड़ी वजह यह थी कि उनको पता था कि यह महामारी कब तक चरम पर होगी। यह कैसे फैल रही है और इसको हराने के लिए किस तरह की रणनीति अपनायी जानी चाहिए। इससे लड़ाई के लिए उन्होंने एक रणनीति बनायी थी, इसलिए वे जीत गये लेकिन हमारे देश में इसको लेकर कोई नीति ही नहीं बनायी गयी और न ही इसका ठीक तरह से आकलन किया गया।
उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने बड़े उत्साह के साथ इस महामारी से लड़ने के लिए 24 मार्च को देश की जनता का आह्वान किया था और पूरे देश ने एकजुट होकर प्रधानमंत्री के आह्वान को स्वीकार कर इस लड़ाई में भागीदारी निभाई। उन्होंने कहा कि श्री मोदी ने पहले लॉकडाउन की घोषणा करते हुए कहा था कि महाभारत का युद्ध 18 दिन में जीता गया था और यह लडाई 21 दिन में जीत लेंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि केंद्र सरकार इसको लेकर पारदर्शिता नहीं अपना रही है। सारी शक्तियां उसने अपने पास रखी हैं। मुल्क के किस इलाके को किस जोन में रखना है, इसका निर्धारण खुद केंद्र सरकार कर रही है जबकि जमीनी स्तर पर काम करने वाली राज्य सरकार को कोई अधिकार नहीं दिया गया है, इसलिए कोरोना की लड़ाई लगातार कठिन होती जा रही है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार इस महामारी को लेकर या तो अंधेरे में तीर मार रही है या हकीकत छिपा रही है, इसीलिए उसके प्रवक्ता विरोधाभासी बयान दे रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता अजय माकन ने कहा कि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए केंद्र सरकार की नीति साफ नहीं है और उसकी टास्क फोर्स के सदस्यों के बीच समन्वय का अभाव नजर आता है। इस महामारी को कब तक नियंत्रित किया जा सकता है या इसका चरम कब होगा, इस बारे में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए गठित प्रधानमंत्री टास्क फोर्स के सदस्य डॉ वी के पॉल, डॉ रणदीप गुलेरिया और लव अग्रवाल के बयानों में एकरूपता नहीं है।
श्री माकन ने कहा कि कोरोना टास्क फोर्स के प्रवक्ताओं के बयान अलग-अलग और विरोधाभासी हैं जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। इन बयानों से साफ होता है कि कोरोना वायरस को लेकर सरकार की स्पष्ट नीति नहीं है, इसीलिए डॉ पॉल कहते हैं कि 16 मई कोरोना संक्रमण का चरम होगा, एम्स के निदेशक डॉ गुलेरिया जून या जुलाई में इसका चरम आना बताते हैं और स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल कहते हैं कि इसका कोई चरम ही नहीं होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को कहा था कि सिर्फ 21 दिन दीजिए, कोरोना वायरस से लड़ाई को जीत लिया जाएगा।