नयी दिल्ली, देश में कोरोना वायरस ‘कोविड-19’ से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ते जाने के बीच राहत की बात यह है कि मरीजों के स्वस्थ होने की दर में निरन्तर इजाफा हो रहा है और अब यह 39.62 प्रतिशत तक पहुंच गयी है।
कोरोना संक्रमित 42298 लोग अब तक स्वस्थ हो चुके हैं जबकि 61169 संक्रमितों का उपचार किया जा रहा है। उपचार के बेहतर इंतजाम और कोविड-19 के खास अस्पताल स्थापित कर लिये जाने से प्रभावितों के स्वस्थ होने दर लगातार बढ़ रही है और यह 39़ 62 प्रतिशत तक ले आयी गयी है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस समय पूरा विश्व लगभग पांच महीने से कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहा है। केन्द्र सरकार की इस बीमारी को लेकर शुरू से ही
“काफी सतर्क तथा चरणबद्व” नीति रही है। इसी के कुछ सकारात्मक परिणाम रहे हैं कि देश में इस बीमारी का उतना प्रभाव नहीं दिखाई पड़ा जितना विश्व के अन्य देशों में परिलक्षित हुआ।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पूरा विश्व प्रभावित हुआ है और सभी देशों की बात की जाए ताे कोराेना वायरस के संक्रमितों की संख्या 62 व्यक्ति प्रति लाख है जबकि भारत में यह आंकड़ा 7़ 9 व्यक्ति प्रति लाख है। विश्व के शीर्ष 15 देशों की आबादी 142 करोड़ के आसपास है और भारत की आबादी 137 करोड़ है लेकिन हमारे देश की तुलना में उन देशों में 34 गुना अधिक संक्रमित व्यक्ति पाये गये हैं। इन देशों का कोरोना वायरस संक्रमित लोगों का आंकड़ा 36़ 45 लाख है जबकि भारत में कोरोना प्रभावितों की संख्या 1़ 07 लाख हैं।
श्री अग्रवाल ने बताया कि विश्व के उन विकसित देशों की जनसंख्या लगभग हमारे बराबर होने के बावजूद उनके यहां मृत्यु दर हमसे 83 गुना अधिक है और इन देशों के 2़ 73 लाख लोग कोरोना वायरस के कारण मारे गए हैं लेकिन भारत में मृतकों की संख्या 3303 ही है।
देश में 25 मार्च को लॉकडाउन के समय कोरोना मरीजों के ठीक होने की दर 7़ 1 प्रतिशत थी जो 16 अप्रैल को 11़ 42 प्रतिशत और तीसरे लॉकडाउन के समय 26़ 59 प्रतिशत हो गई और अब यह बढ़कर 39़ 62 प्रतिशत हो गई है। देश में इस समय जितने सक्रिय मामले हैं उनमें 2़ 94 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन, तीन प्रतिशत को आईसीयू और 0़ 45 प्रतिशत मरीजों को वेंटीलेटर की आवश्यकता हैं। अभी तक सबसे अच्छी बात यह है कि मात्र 6़ 93 प्रतिशत मरीजों को ही ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटीलेटर की आवश्यकता हो रही है जबकि विश्व के अन्य देशों में यह दर 10 से 15 फीसदी है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि इसके बावजूद यह हमारे लिए संतोषजनक बात नहीं है और सबसे बड़ी बात यह है कि जो भी कोरोना मामला मिले उसे तुरंत चिकित्सा प्रदान की जाए ताकि वह जल्द ही ठीक हो जाए। उन्होंने कहा कि देश में लॉकडाउन के दौरान इस विषाणु के प्रसार को रोकने में मदद तो मिली ही थी, इसके साथ-साथ हमने अपने स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे में भी काफी अच्छी तैयारी भी कर ली थी और हर राज्य में कोविड समर्पित अस्पताल, कोविड हेल्थ सेंटर और काेविड केयर सेंटर बना लिए हैैं जो किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हैं।
देश में इस समय कोरोना वायरस के गंभीर मरीजों के डेढ़ लाख बिस्तर उपलब्ध हैं और जितनी रफ्तार से कोरोना के मरीज ठीक हो रहे हैं उसे देखकर कहा जा सकता है कि हम भविष्य में किसी भी चुनौती से निपट सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अब तक देश में कोरोना वायरस के 25 लाख से अधिक टेस्ट हो चुके हैं और संक्रमित मरीजों की जो संख्या सामने आ रही है, वह मात्र 4़ 5 प्रतिशत ही है और विश्व के अन्य देशों में बड़े पैमाने पर लोगों की जांच की जा रही है और वहां भी संक्रमितों का यही प्रतिशत निकल रहा है। कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण पर उन्होंने कहा कि यह अभी उस स्तर पर नहीं आया हैं और कुछ राज्यों में खास पॉकेट अथवा ऐसे स्थान हैं जहां इसके मामले अधिक देखे जा रहे हैं जिनसे निपटने के लिए कंटेनमेंट रणनीति अपनाई जा रही है। जब तक इसका कोई कारगर इलाज नहीं मिल जाता तब तक हमें साफ-सफाई और अपनी आदतोें में बदलाव लाना होगा।
गृह मंत्रालय की प्रवक्ता पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने बताया कि लाॅकडाउन को लोकहित में 31 मई तक बढ़ाया गया है और इस बारे में दिशा-निर्देश जारी किए गये हैं। परिस्थितियों को देखते हुए राज्य सरकारों ने अपने यहां दिशा-निर्देश
जारी किए हैं और गृह मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वैज्ञानिक रमन गंगाखेड़कर ने बताया कि अाज अपराह्न साढ़े 12 बजे तक कोरोना टेस्टिंग वाले मरीजाें की संख्या बढ़कर 2536156 हो गई है और कल 107609 नमूनों की जांच की गई थी। यह दूसरी बार जब 24 घंटों में इतने मरीजों की जांच की गई। देश में इस समय आईसीएमआर की 391 और निजी क्षेत्र की 164 प्रयोगशालाएं कोरोना संक्रमण जांच का काम कर रही हैं।