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फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर गई पार्षदी, निकटतम प्रतिद्वन्द्वी विजयी घोषित

मथुरा, फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाने के कारण गई चुनाव जीत कर पार्षद बन गये, लेकिन अदालत ने पार्षदी छीन ली और निकटतम प्रतिद्वन्द्वी को विजयी घोषित कर दिया।

उत्तर प्रदेश के मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का एक उम्मीदवार अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित वार्ड-10 से चुनाव जीत कर पार्षद बन गया था, लेकिन दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के उम्मीदवार ने अदालत में उसके प्रमाण पत्र को चुनौती देते हुए याचिका दायर कर दी। सुनवाई के बाद अदालत ने उसके दावे को पुष्ट मानते हुए चुनाव को शून्य घोषित करते हुए निकटतम प्रतिद्वन्द्वी को विजयी घोषित कर दिया।
वादी पक्ष के अधिवक्ता प्रेम प्रकाश ने बताया, ‘‘नवम्बर 2017 में मथुरा-वृन्दावन नगर निगम का गठन किए जाने के बाद पहली बार हुए चुनाव में वार्ड नंबर 10 को क्रमानुसार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया था। यहां से भाजपा से सुरेश धनगर, कांग्रेस से सत्यनारायन, बसपा से चन्द्रपाल और रालोद से वीरी सिंह ने चुनाव लड़ा था। चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को 1202 तथा कांग्रेस के प्रत्याशी को 1160 मत मिले थे।’’
उन्होंने बताया, ‘‘जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान पड़े मतों की गिनती के पश्चात भाजपा प्रत्याशी को 42 मतों से विजयी घोषित करते हुए उसके हक में प्रमाण पत्र जारी किया गया था। कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। दुर्भाग्यवश पूरी प्रक्रिया के दौरान तथा बाद में भी किसी अधिकारी ने उसकी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया। तब उसने न्यायालय की शरण लेने का निर्णय लिया।’’
उन्होंने बताया, ‘सत्यनारायण ने जिला न्यायाधीश की अदालत में याचिका दायर किया। वादी का आरोप था कि भाजपा प्रत्याशी ने धनगर जाति का जो प्रमाण पत्र दाखिल किया था, वह फर्जी था।’’
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता (अष्टम) ऊधम सिंह ने अदालत के निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया, ‘‘नगर निगम अधिनियम के 72वें नियम के अनुसार भाजपा प्रत्याशी के निर्वाचन को शून्य घोषित कर निकटतम प्रतिद्वन्द्वी सत्यनारायण को विजयी घोषित कर दिया गया है। अब संबंधित अधिकारी द्वारा उन्हें पार्षद पद की शपथ दिलाई जाएगी।’’