मुंबई, भारतीय स्टेट बैंक ने आगामी त्योहारी मौसम पर नजर रखते हुये विभिन्न अवधि के कर्ज की ब्याज दर में 0.10 प्रतिशत की और कटौती की घोषणा की है।
देश के सबसे बड़े बैंक द्वारा अप्रैल से पांचवीं बार ब्याज दरों में कमी की गई है।
यह कटौती मंगलवार से प्रभावी होगी।
इसके साथ ही एसबीआई ने संकेत दिया है कि आगे वह ब्याज दरों को और नरम कर सकता है।
एसबीआई ने ब्याज दरों में ऐसे समय कटौती की है जबकि सरकार और रिजर्व बैंक चाहते हैं कि सस्ता कर्ज देकर अर्थव्यवस्था की ‘सुस्ती’ को दूर किया जाए।
यहां उल्लेखनीय है कि इस साल की शुरुआत से ही बैंकिंग प्रणाली में ऋण और जमा की वृद्धि दर 12 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है।
इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष में बैंक अब तक ब्याज दर में पांच बार में कुल 0.40 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। बैंक ने इसके साथ ही अपनी खुदरा और थोक सावधि जमा दरों में भी 0.10 प्रतिशत से लेकर 0.25 प्रतिशत तक की कटौती की घोषणा की है।
बैंक ने कहा है कि इस कटौती के बाद उसकी सीमांत लागत आधारित कर्ज की ब्याज दर (एमसीएलआर) 8.25 प्रतिशत से कम होकर 8.15 प्रतिशत रह जायेगी। बैंक के सभी अवधि के कर्ज की ब्याज दरें इसी के आधार पर तय होतीं हैं।
एबसीआई ने अपने ज्यादातर कर्ज और जमा उत्पादों की ब्याज दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ दिया है।
इसी क्रम में आगे बढ़ते हुये बैंक ने खुदरा सावधि जमा दर में 0.20 से 0.25 प्रतिशत और थोक राशि में होने वाली जमा की दर में 0.10 से लेकर 0.20 प्रतिशत तक की कमी की है। ये नई दरें भी मंगलवार से प्रभावी होंगी।
बैंक ने कहा है कि ब्याज दरों में गिरावट के परिवेश और उसके पास उपलब्ध अधिशेष नकदी को देखते हुये उसने अपनी जमा और ऋण की ब्याज दरों को नये सिरे से व्यवस्थित किया है।
देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक ने सबसे पहले अप्रैल में ब्याज दर में 0.05 प्रतिशत की कटौती की।
तब बैंक की एक साल की एमसीएलआर दर 8.55 प्रतिशत रही।
मई और जुलाई में भी बैंक ने इतनी ही कटौती की जबकि अगस्त में बैंक ने 0.15 प्रतिशत की ऊंची कटौती की।
चार बार में कुल मिलाकर 0.30 प्रतिशत की कटौती के बाद बैंक की एमसीएलआर दर 8.25 प्रतिशत पर आ गई।
अब ताजा पांचवी बार की कटौती के बाद यह 8.15 प्रतिशत रह गई।
एसबीआई के निकटतम प्रतिद्वंद्वी बैंकों… एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक की यह दर क्रमश: 8.30 प्रतिशत और 8.35 प्रतिशत पर है।
यहां एक कार्यक्रम के मौके पर एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने पीटीआई भाषा से अलग से बातचीत में कहा कि आगे चलकर बैंक ब्याज दरों में और कमी लाएगा।
कुमार ने ऋण की मांग पैदा होने तक अर्थव्यवस्था को समर्थन की प्रतिबद्धता जताई।
उन्होंने कहा कि इस बारे में बैंक का कोई कदम केंद्रीय बैंक की अक्टूबर में होने वाली मौद्रिक समीक्षा से तय होगा।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति की दिशा से दरों पर फैसला करता है और यह अभी ‘नियंत्रण’ में है।
कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था को मांग आधारित प्रोत्साहन की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ब्याज दरों में वृद्धि नहीं होगी।
बहरहाल, यह गौर करने की बात है कि रिजर्व बैंक की रेपो दर 5.40 प्रतिशत के मुकाबले बैंकों की सीमांत लागत आधारित ऋण दर अभी भी काफी ऊंची बनी हुई है।
रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2019 के बाद से रेपो दर में 1.10 प्रतिशत की कटौती की है।