नयी दिल्ली, माकपा ने जनगणना और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के लिए एक साथ आंकड़े एकत्र किए जाने का कई राज्यों द्वारा विरोध किए जाने का हवाला देते हुए कहा है कि एनपीआर और जनगणना के अलग अलग आंकड़े एकत्र करना जरूरी है।
माकपा पोलित ब्यूरो ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि हर दशक के अंतराल पर जनगणना कराना संवैधानिक अनिवार्यता है, जबकि एनपीआर के आंकड़े नागरिकता संशोधन अधिनियम 2003 के अंतर्गत एकत्र किए जाते हैं। इसलिए कानूनी तौर पर इन दोनों को एक दूसरे से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए।
वाम पार्टी ने इस बात पर जोर दिया कि एनपीआर के आंकड़ों को राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) में इस्तेमाल किया जायेगा। पार्टी ने यह आशंका भी जताई कि एनआरसी में जिन करोड़ों लोगों के नाम दर्ज नहीं होंगे, उन्हें तमाम तरह के दस्तावेजी सबूतों के आधार पर भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए प्रताड़ित किए जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
माकपा पोलित ब्यूरो ने हाल ही में कराए गए एक अध्ययन के आधार पर कहा कि महज 43 प्रतिशत भारतीय नागरिकों के पास अपनी नागरिकता के दस्तावेज मौजूद हैं। पार्टी ने इस सच्चाई के मद्देनजर एनपीआर के खिलाफ अपना विरोध जारी रखने की बात कही।