इन दलितों का कहना है कि सरकार से अपनी मांगों को लेकर सम्पर्क और बातचीत करने के सभी प्रयास विफल रहने के बाद उन्होंने अब मजबूरी में यह कदम उठाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा यह धर्म परिवर्तन यहां धरना स्थल पर ही किया जाएगा। उन्होंने राज्य सरकार पर दलित हिंदुओं की कोई सुनवाई न करने का भी आरोप लगाया।
इस बीच इन दलितों के स्वतंत्रता दिवस पर धर्म परिवर्तन करने के ऐलान के बाद सुरक्षा एजेंसियां सर्तक हो गई हैं। ये दलित गत 183 दिनों से दलित संयुक्त कार्रवाई कमेटी के बैनर तले दलितों की विभिन्न मांगो को लेकर यहां लघु सचिवालय के सामने धरने पर बैठे हैं। हाल ही में गत 31 मई को करीब 120 दलितों ने मांगे न माने के विरोध में दिल्ली जाकर बौद्व धर्म अपना लिया था।
कमेटी के संचालक दिनेश बौद्ध खापड़ ने आज यहां बताया कि दलित परिवार अपनी मांगों को लेकर संविधान और कानून के दायरे में आंदोलन कर रहे हैं और दाे बार चंडीगढ़ और दिल्ली के लिए पैदल मार्च तथा दो बार 23 और 31 दिन तक भूख हड़ताल भी कर चुके हैं। कई बार सरकार से मिलने का भी प्रयास किया लेकिन हर बार उनकी अनदेखी की गई।
उन्होंने बताया कि दलितों ने सरकार से बातचीत करने के लिए अंतिम प्रयास करते हुए जींद से करनाल तक 29 जुलाई से 31 जुलाई तक पैदल यात्रा भी निकाली थी और करनाल जाकर सीएम के नाम अपनी मांगों और मिलने के लिए ज्ञापन भी सौंपा था लेकिन अभी तक सरकार की ओर से इस सम्बंध में कोई संकेत नहीं मिला है। उन्हाेंने कहा कि सरकार की ओर से अगर अगले दो दिनों में मिलने या बातचीत का कोई न्यौता नहीं आता है तो स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेश भर से करीब 1500 दलित बौद्व धर्म अपना लेंगे।
ये दलित जींद में ईश्वर सिंह की मौत के बाद किया गया समझौता लागू करनेए कुरूक्षेत्र के झांसा गांव की दलित बेटी से हुई दरिंदगी की जांच करानेए आसन कांड में दलित लड़की की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में हुआ समझौता लागू करनेए भिवानी के हालुवास में नाबालिग से दुष्कर्म पर शिकायतकर्ता को सुरक्षा और मुआवजा देनेए हिसार के भटला में दलितों का सामाजिक बहिष्कार करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने और दलितों पर दर्ज मामले रद्द करनेए मार्च 2015 में छात्तर के सतीश की मौत से सम्बंधित समझौता लागू करनेए 1985 में पुलिस नाके पर मारे गये नायक सुबे सिंह को शहीद का दर्जा और उसके बेटे को नौकरी देनेए जंतर.मंतर पर भिवानी के बामला के फौजी खुदकशी मामले में की गई घोषणा लागू करनेए प्रदेश में अम्बेडकर की मूर्तियों की सुरक्षा सुनिश्चत करने तथा दलितों पर अत्याचारों पर अंकुश लगाने की मांग कर रहे हैं।