नयी दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में गैर-बासमती धान का रकबा कम रहने से दिल्ली तथा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) को इस साल प्रदूषण में राहत की उम्मीद है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष शिवदास मीणा ने आज यहाँ एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही। उन्होंने कहा कि गैर-बासमती धान की पराली के निपटारे में ही किसानों को समस्या आती है और वे उसे खेत में ही जला देते हैं। पंजाब में पिछले साल 22.91 लाख हेक्टेयर में धान की फसल हुई थी जबकि इस साल इसका रकबा घटकर 20.76 लाख हेक्टेयर है। इसी प्रकार हरियाणा में गैर-बासमती धान का रकबा पिछले साल के 6.48 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल 4.27 लाख हेक्टेयर रहा है। इससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि ठंड के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में हर साल होने वाले प्रदूषण में आसपास के राज्यों में जलाई जाने वाली पराली का योगदान चार से 40 प्रतिशत के बीच होता है। सितंबर और अक्टूबर के महीने में अबतक पराली जलाने की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले वृद्धि के बारे में श्री मीणा ने कहा कि इस साल फसल कटाई जल्दी होने के कारण ऐसा हुआ है। उम्मीद है कि पूरे मौसम में ऐसी घटनाओं में कमी आयेगी।