लखनऊ, उत्तर प्रदेश में वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन,सब्सिडी पर निजी आवास आदि मांग को लेकर सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल को आज एक पत्र सौंपा।
लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के मंडल अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव शिवशरन सिंह ने यहां जारी बयान में कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लंबे अरसे बाद प्रदेश के पत्रकारों की सुध ली है और पिछले दिनों उन्होंने राज्य के पत्रकारों के लिए पांच लाख का स्वास्थ्य बीमा और कोरोना से पत्रकार की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की थी लेकिन लंबे समय से पत्रकारों के लिए सुविधाओं की मांग कर रहे आईएफडब्ल्यूजे व यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ने कई बार मुख्यमंत्री सहित अपर मुख्य सचिव सूचना को मांग पत्र देती रही है ।
उन्होंने कहा कि अभी तक हमारी मांगे पूरी नहीं हुई है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा दी गयी सुविधाओं में मान्यता प्राप्त की बाध्यता खत्म किए जाने की मांग दोहराई । इसके साथ ही पत्रकारों और उनके परिजनों की पीजीआई, डॉ0 राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट, केजीएमसी सहित अन्य संस्थानों में निःशुल्क इलाज और 60 साल के बाद पत्रकारों को पेंशन देने जिसमें भी मान्यता प्राप्त पत्रकार की कोई बाध्यता न/न रखी जाए, जैसी मांगों को लेकर एक पत्र आज यहां सूचना विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल को सौंपा ।
श्री सिंह ने कहा कि उनका संगठन इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफडब्लजे ), उत्तर प्रदेश वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ( यूपीडब्लूजेयू) व लखनऊ वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन ( एलडब्लूजेयू ) देश व प्रदेश में पत्रकारों के हितों की लंबे अरसे से लड़ाई लड़ रहा हैं ।
उन्होंने ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काे धन्यवाद देते हुए कहा कि हमारी मांग पर उत्तर प्रदेश के पत्रकारों को पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा देने और कोरोना से मृत्यु होने पर पत्रकार के परिजनों को 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है । शिव शरण सिंह ने कहा कि पत्रकारों को दी गयी इन सभी सुविधाओं में मान्यता की बाध्यता वाली सीमा नहीं होनी चाहिए और जिला, तहसील डेस्क स्तर के सभी पत्रकारों को इसका लाभ मिलना चाहिए ।
श्री सिंह ने कहा कि हमारी तो मांग है कि राज्य कर्मचारियों, डॉक्टरों, नर्सो, पुलिस कर्मियों की तरह पत्रकारों को भी प्रदेश सरकार कोरोना योद्धा घोषित करे, जिसमें उन्हें कोरोना से मौत होने पर 50 लाख रुपये दिए जाने का प्रावधान हैं । साथ ही किसी भी पत्रकार साथी के आकस्मिक निधन पर 25 लाख रुपये की सहायता राशि देने की भी मांग की ।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 12 राज्यों में 60 वर्ष से के बाद अवकाश प्राप्त पत्रकारों को छह से 12 हजार रुपये प्रति माह पेंशन दी जा रही है । संगठन की पूर्व में मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं कहा था कि वह पत्रकारों को निजी आवास देने पर भी विचार कर रहे है । उन्होंने कहा कि वे अपनी मांगों को लेकर शीघ्र ही मुख्यमंत्री से मिलेंगे और उनसे पत्रकारों के हितों की मांगों को पूरा करने का अनुरोध करेंगे ।