नई दिल्ली , फिक्की महिला संगठन- एफएलओ ने देश में महिला कृषकों के लिए अलग रजिस्टर बनाने की मांग करते हुए कहा है कि उनके लिए विशेष योजनाएं बनाई जानी चाहिए और अलग से लाभ घोषित किए जाने चाहिए.
भारतीय उद्योग एवं वाणिज्य महासंघ से जुड़े फिक्की महिला संगठन ने एक रिपोर्ट ” भारतीय कृषि में महिलाओं भागीदारी ” में कहा है कि कृषि रोजगार प्रदान करने वाला देश में सबसे बड़ा क्षेत्र है . इसमें महिलाओं की व्यापक स्तर पर भागीदारी है लेकिन निर्णय प्रक्रिया में उनकी भूमिका नहीं है .
रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिला कृषकों का राष्ट्रीय स्तर पर एक रजिस्टर बनाया जाना चाहिए. इस रजिस्टर में उनसे संबंधित सभी जानकारियों और आंकड़ों का समावेश किया जाना चाहिए . सरकार को कृषक महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए अलग से योजनाएं बनानी चाहिए. सरकार को केवल महिलाओं के लिए कुछ विशेष लाभ घोषित करने चाहिए. इससे महिलाओं को इसी क्षेत्र में सशक्त करने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में उनका सक्रिय योगदान हो सकेगा.
पिछले दिनों जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में भूमि का स्वामित्व दर्शाने वाले तौर तरीके और प्रक्रिया पुरुषों के पक्ष में है . इन तौर तरीकों और प्रक्रिया में बदलाव किया जाना चाहिए, जिससे महिलाओं को भी भूमि के मालिकाना हक में समान भागीदारी मिल सके. समाज में एक तबके में महिलाओं द्वारा जबरन भूमि दान की प्रथा है. इसे समाप्त किया जाना चाहिए. इससे महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का अधिकार देने से संबंधित कानून कमजोर होता है . इसके अलावा कृषि भूमि के पट्टे पर देने की प्रक्रिया में भी बदलाव होना चाहिए. महिला किसानों के लिए भी विशेष भूमि पट्टे दिए जाने चाहिए. सामान्य तौर पर भूमि पट्टा पुरुष किसान को ही दिया जाता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को महिलाओं के अनुकूल कृषि तकनीक विकसित करने का प्रयास करना चाहिए. ऐसे उपकरण और प्रणाली बनाए जाने चाहिए जिन्हें महिलाएं आसानी से इस्तेमाल कर सकें और कृषि कार्य में योगदान कर सकें . देश में स्वयं सहायता समूह काफी सफल साबित हुए हैं . इनके जरिए महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है . इस प्रक्रिया में महिला किसानों को भी शामिल करना चाहिए. महिला किसानों के लिए ऐसे समूह राष्ट्रीय स्तर पर बनाए जाने चाहिए.
इस रिपोर्ट में महिला किसानों की समस्याओं का विस्तृत रूप से ब्यौरा दिया गया है और समाधान के लिए कई सिफारिशें की गई है.
रिपोर्ट में प्रत्येक राज्य की महिला किसानों के लिए अलग से सिफारिशें की गई है और जैव विविधता तथा जलवायु का भी ध्यान रखा गया है.