नई दिल्ली, मच्छर की वजह से किसी अन्य जानवरों की तुलना में यह अधिक लोगों की जान लेता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मच्छर के कारण हर साल करीब 10 लाख से अधिक मौतें होती हैं. मलेरिया, डेंगू, पीला बुखार, और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के कारण हर साल लाखों लोग बीमार पड़ते हैं. यह सभी बीमारियां मच्छरों द्वारा ही होती हैं. ऐसा लगता है कि मच्छरों को जल्द ही दुनिया से खत्म किया जा सकता है. गूगल की पैरेंट कंपनी ‘अल्फाबेट’ इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. इस कंपनी ने मच्छरों को जड़ से खत्म करने का नया तरीका निकाला है.
‘अल्फाबेट’ के जरिए चलाए जाने वाले ‘वेरेली’ नाम के एक रिसर्च संस्थान ने 2017 में फ्रेस्नो, कैलिफोर्निया में मच्छरों के खात्मे के लिए एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. ‘डीबग प्रोजेक्ट’ नाम के इस प्रोजेक्ट में मच्छरों को कैलिफोर्निया की एक लैब में पैदा किया जाता था. इस दौरान नर मच्छरों में ‘वोल्बाशिया’ नाम का एक बैक्टीरिया डाला जाता था. यह बैक्टीरिया मादा मच्छरों में बांझपन पैदा कर देता था. जिन मच्छरों में यह बैक्टीरिया डाला गया था, उन्हें एक सीमित क्षेत्र में ही रखा गया. ताकि वे केवल उसी इलाके की मादा मच्छरों से संबंध बना सके. इस प्रक्रिया का लक्ष्य धीरे-धीरे मच्छरों की आबादी को नए मच्छर पैदा करने के लिए असक्षम बनाना था. इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाना था, जब तक उनकी अगली पीढ़ी पूरी तरह से समाप्त न हो जाए.
छह महीने तक चली इस प्रक्रिया के दौरान ‘डीबग’ ने फ्रेस्नो, कैलिफोर्निया में इस बैक्टीरिया से प्रभावित 1.5 करोड़ मच्छरों को छोड़ा. जिससे मादा मच्छरों के काटने में दो-तिहाई की कमी आई है. अभी तक इस प्रोजेक्ट के जरिए यहां पर मच्छरों की संख्या 95% तक कम हो चुकी है. डीबग ने अपनी वेबसाइट पर इसके विषय में लिखा है, “डीबग की शुरुआत अच्छी हुई है लेकिन अभी बहुत कुछ करना है. हम आगे समुदायों के साथ काम करके उन्हें यह दिखाना चाहते हैं कि अच्छे मच्छरों को छोड़कर ‘डीबग’ मच्छरों की संख्या और बीमारियों के मामले में सकारात्मक प्रभाव दिखा सकता है.” आगे डीबग ने यह भी लिखा कि “इससे हम लाखों लोगों को लंबे वक्त तक स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकेंगे, ऐसी आशा है.