कोरोना के दौरान डिजिटल खरीदारी में 70 फीसदी तक वृद्धि हुई

नयी दिल्ली, फेसबुक इंडिया और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप ने तीन नई रिपोर्ट्स मोबाइल फोन, एपरेल और कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स (सीपीजी) जारी करते हुए कहा कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण उपभोक्ताओं की खरीदारी के तरीकों में बदलाव आया है। शहरी उपभोक्ताओं में डिजिटल का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ा है, मोबाइल के लिये इसमें 70 प्रतिशत, एपरेल के लिये 55-60 प्रतिशत और नॉन-फूड सीपीजी श्रेणियों के लिये 20-25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।

यह रिपोर्ट्स पिछले महीने रिलीज हुई ‘टर्न द टाइड’ रिपोर्ट का फॉलो अप हैं। नई रिपोर्ट्स के मुताबिक शहरी उपभोक्ताओं में डिजिटल का प्रभाव बहुत ज्यादा बढ़ा है। इनमें मोबाइल के लिये 70 प्रतिशत, एपरेल के लिये 55-60 प्रतिशत और नॉन-फूड सीपीजी श्रेणियों के लिये 20-25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। इसका मुख्य आकर्षणों में पहले मोइबाइल फोन आता है। जिसमें कोरोना संकट के बाद मोबाइल के लिए 70 प्रतिशत शहरी उपभोक्ताओं के डिजिटल से प्रभावित होने की उम्मीद है।

यह इससे पहले 55-60 प्रतिशत था। इसमें अगले दो वर्षों में मोबाइल फोन्स के लिये ऑनलाइन हिस्सेदारी लगभग 45 प्रतिशत हो सकती है जाे कोरोना संकट से पहले 38 प्रतिशत थी। नॉन-फूड कैटेगरीज में डिजिटल से प्रभावित शहरी उपभोक्ताओं में लगभग 1.3 गुना वृद्धि की अपेक्षा है। लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन खरीदारों में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि, जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक की इसे जारी रखने की योजना है।

इसी तरह एपरेल में 55-60 प्रतिशत शहरी उपभोक्ताओं के डिजिटल से प्रभावित होने की संभावना है और लगभग 40 प्रतिशत उपभोक्ता एपरेल पर ऑनलाइन खर्च बढ़ाना चाहते हैं। इसके साथ साथ लगभग 79 प्रतिशत उपभोक्ता बिना काम घर से बाहर नहीं निकलना चाहते हैं, इसलिये कैजुअल वियर वार्डरोब का बड़ा हिस्सा होगा।

फेसबुक इंडिया के ग्लोबल मार्केटिंग सॉल्यूशन के निदेशक एवं प्रमुख संदीप भूषण ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि खरीदारी के अंदाज में डिजिटल प्रभाव में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। जिनमें से कुछ श्रेणियों में यह 70 प्रतिशत तक बढ़ा है। अब हम देख रहे हैं कि व्यवसाय अच्छे परिणामों के लिये इस बढ़े हुए डिजिटल प्रभाव का उपयोग कर रहे हैं।

डिजिटल को सोशल मीडिया के कारण गति मिली है। आज भारत के 40 करोड़ से ज्यादा लोग फेसबुक फैमिली ऑफ एप्स से जुड़े हैं और उपभोक्ताओं की यात्रा में हमारी बड़ी भूमिका है। अब व्यवसायों के लिये उन नये समाधानों को अपनाने का अवसर है, जो अभी उपलब्ध हैं, विभिन्न तरीकों से- वे वर्चुअल अनुभवों को सजीव बनाकर व्यक्तिगत अनुभवों को दोहरा सकते हैं, प्लेटफॉर्म की क्षमता और अच्छे परिणामों पर केन्द्रित हो सकते हैं और सामाजिक दूरी के समय में उपभोक्ता के साथ जुड़े रहने के बाधारहित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि रिपोर्ट्स यह भी बताती हैं कि इनमें से कुछ ट्रेंड्स महामारी के बाद भी जारी रहेंगे। लॉकडाउन के दौरान जिन 90 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने ऑनलाइन एपरेल खरीदे, उन्होंने आगे भी इसे जारी रखने की इच्छा जताई है। सीपीजी में यह आंकड़ा फूड रिलेटेड सब-कैटेगरीज के लिये 80 प्रतिशत और नॉन-फूड रिलेटेड सब-कैटेगरीज के लिये 84 प्रतिशत है। इसके अलावा, रिपोर्ट्स खुलासा करती हैं कि लोग आने वाले छह महीनों में स्मार्टफोन, कंज्यूमर पैकेज्ड गुड्स और एपरेल की खरीदारी के लिये ऑनलाइन चैनलों का पता लगाना चाहते हैं।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप की प्रबंधन निदेशक एवं साझेदार निमिषा जैन ने कहा, ‘‘मोबाइल, एपरेल और सीपीजी में हम ग्राहकों की पसंद और खरीदारी के तरीके में बदलाव देख रहे हैं। हम उम्मीाद करते हैं कि अगले दो वर्षों में मोबाइल्स के लिये ऑनलाइन सेल्स मार्केट 45 प्रतिशत पर पहुँच जाएगा। साथ ही 10 में से आठ उपभोक्ता बाहर जाने से बच रहे हैं, जिससे ‘वार्डरोब्स का कैजुअलाइजेशन’ होगा। आज के दाैर में दो में से लगभग एक उपभोक्ता स्वास्थ्य एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता से सम्बंधित खाद्य उत्पाद पर खर्च करना चाहता है। मोबाइल के लिये 70 प्रतिशत और एपरेल के लिये 55-60 प्रतिशत शहरी उपभोक्ता डिजिटल से प्रभावित होंगे। यह महत्वपूर्ण है कि ब्राण्ड अपने डिजिटल जुड़ाव को बढ़ाएं और नए नॉर्मल में जीत हासिल करने के लिए अपने प्रस्ताव को विशिष्ट रूप से निर्मित कर करें।’’

इन रिपोर्टों की एक वर्चुअल इवेंट और पैनल में चर्चा में की गयी जिनमें इंडिया इंक के कई लीडर्स मौजूद थे। साथ ही सैमसंग इंडिया, मॉन्डे जीज़ इंडिया और बिग बाजार की उपस्थिति भी थी। हालांकि, इन सभी के काफी मजबूत ऑफलाइन रिटेल नेटवर्क हैं, लेकिन परिणाम बताते हैं कि वे इस समय कैसे डिजिटल का फायदा उठा रहे हैं।

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