प्रयागराज, हिंदुओं के लिये भी अब तलाक लेना देना आसान नही रह गया है। हाईकोर्ट ने इस बारे मे एक बड़ा फैसला दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के एक साल के भीतर आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल नहीं किया जा सकता। विवाह अधिनियम की धारा 13 बी के तहत शादी के एक साल के बाद ही सहमति से तलाक हो सकता है।
यह फैसला न्यायमूर्ति एसके गुप्ता तथा न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने प्रयागराज के अर्पित गर्ग और आयुषी जायसवाल की तलाक की अर्जी खारिज करते हुए दिया है। उनकी अर्जी परिवार न्यायाधीश ने पहले ही खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। दोनों की शादी 9 जुलाई 2018 को हुई। 12 अक्तूबर 18 से वह अलग रहने लगे और 20 दिसंबर 18 को आपसी सहमति से तलाक का मुकदमा दाखिल किया गया।
परिवार न्यायालय ने तलाक के मुकदमे के लिए निर्धारित एक साल की अवधि से पहले दाखिल मुकदमे को समय पूर्व मानते हुए वापस कर दिया, जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। अपीलार्थी का कहना था कि दोनों का एक साथ रहना संभव नही है। वह अलग रहना चाहते हैं, इसलिए दोनों ही तलाक के लिए राजी हैं। एक साल की वैधानिक अड़चन दूर की जाए। कोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट वैधानिक व्यवस्था को माफ नहीं कर सकती। तलाक के लिए एक साल की अवधि का बीतना बाध्यकारी है।