DNA बिल लोकसभा में हुआ पास, जानें क्यों है ये बिल महत्वपूर्ण….
January 9, 2019
नई दिल्ली ,अपराधियों, संदिग्धों, विचाराधीन कैदियों, लापता बच्चों और लोगों, आपदा पीड़ितों एवं अज्ञात रोगियों की पहचान के लिए डीएनए बिल लोकसभा में पास कर दिया गया। डीएनए तकनीक के इस्तेमाल के लिए इस बिल में एक डीएनए लैबरेटरी बैंक स्थापित करने के साथ डीएनए डेटा बैंक स्थापित करना भी है।
डीएनए आधारित फरेंसिक टेक्नॉलजी का प्रयोग अपराधों को सुलझाने में किया जा सकता है। इस तकनीक से लापता लोगों, बिना पहचान वाले मृतकों, बड़ी आपदाओं में अधिक संख्या में हुई मृतकों की पहचान में काफी उपयोगी होता है। डीएनए तकनीक का प्रयोग सिविल केस सुलझाने के लिए भी किया जा सकता है जिनमें बच्चे के जैविक माता-पिता की पहचान, इमिग्रेशन केस और मानव अंगों के ट्रांसप्लांट जैसे कुछ महत्वपूर्ण आयाम शामिल हैं। इस बिल की जरूरत डीएनए डेटा बैंक नहीं होने के कारण खास तौर पर थी। इस वक्त करीब 3000 केस डीएनए प्रोफाइलिंग के हैं और लैबरेटरी में डीएनए डेटा बैंक नहीं होने के कारण इन्हें स्टोर करने की कोई सुविधा नहीं है।
इस बिल के विरोध में विपक्ष का तर्क है कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इससे सरकार नागरिकों की गोपनीय जानकारी अपने पास रखना चाहती है। विपक्ष का यह भी तर्क है कि गोपनीयता को सुरक्षित रखने के लिए कोई सुरक्षित पैमाने तैयार नहीं किए गए हैं, इससे डेटा का दुरुपयोग भी हो सकता है। कांग्रेस सासंद शशि थरूर ने बिल के विरोध में कहा, ‘डेटा सुरक्षा कानून में इसके लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस बिल के कानून में प्रभावी होने के बाद लोगों की गोपनीयता और निजता का उल्लंघन हो सकता है।’ बिल के विरोध में एक तर्क यह भी है कि पुलिस फोर्स और सुरक्षा एजेंसियों को पूरी ट्रेनिंग दिए बिना ही अगर इसे लागू किया गया तो परिणाम अपेक्षित नहीं हो सकते।