गोरखपुर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में कोरोना संक्रमण के चलते इस साल मोहर्रम में सड़कें वीरान रही वहीं लोगों ने घर में ही रहकर कर्बला के शहीदों को याद किया।
जिले में अबकी बार एक से 10वीं तक निकलने वाले गश्ती, मातम और इमामबाड़ा से निकलने वाला शाही जूलूस कोरोना के कारण स्थगित रहा। राज्य सरकार के निर्देशों और स्थानीय पुलिस प्रशासन के सख्ती के कारण जहां वह इमाम हुसेन और कर्बला के शहीदों के गम को नहीं मना सके वहीं उन्हें इस बात का दुख था कि ऐसा न कर पाने के कारण कहीं कोई अनहोनी न न हो जाये।
इस बार मोहर्रम का जूलूस स्थगित हो जाने से सबसे ज्यादा ठेले, मोहर्रम में ताजिया बनाने वालों और अलम उठाने वालो पर पड़ा है। उल्लेखनीय है कि गोरखपुर का मोहर्रम पूरे प्रदेश में सबसे मशहूर है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकतर जिले अपने मोहर्रम के कार्यक्रम गोरखपुर में स्थित इमाम बाडा के मियां साहब फरूख अदनान शाह के निर्देशों पर होता है।
शिया और सुन्नी समुदाय के लोग मोहर्रम अपने-अपने तौर तरीकों से मनाते हैं। शिया समुदाय के लोगों ने इस दौरान महिलाओं का मजलिश सम्पन्न हुआ जिसमें शहीदों के बलिदान को याद किया गया जबकि सुन्नी समुदाय न कोविड-19 के आदेशों का पालन करते हुए अपने घरों में शहीदे कर्बला पर कार्यक्रम किये गये।
9वीं मोहर्रम को आज शनिवार को इमाम बाडाा पर रखे जाने वाले ताजिये नजर नहीं आये। शहीदों के याद में लोगों को शर्बत भी नहीं पिलाया गया। इसके अलावा इमाम बाडें में रखे सोने और चांदी के ताजिए का दर्शन करने वाले जो विभिन्न प्रान्तों से भी गोरखपुर आते थे वह नहीं आ सके। इस ताजिए का दर्शन मोहर्रम के एक से दसवी दिन तक किया जाता रहा है। 10वीं मोहर्रम का दरवाजा बन्द हो जाने के बाद अगले साल ही दर्शन करने मौका मिल पायेगा।