लखनऊ, ऑक्सीजन की कमी के कारण गोरखपुर में अगस्त 2017 में 60 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में दो
साल से निलंबित चल रहे डा0 कफील खान के लिए राहत की खबर है।
एक विभागीय जांच ने उन्हें चिकित्सा मे लापरवाही, भ्रष्टाचार के आरोपों और हादसे के दिन अपना कर्तव्य नहीं निभाने के
आरोपों से मुक्त कर दिया है।
15 पन्नों की रिपोर्ट में कहा गया है कि कफील लापरवाही के दोषी नहीं थे और उन्होंने 10-11 अगस्त, 2017 की रात को
स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रयास किए थे।
रिपोर्ट में इसका भी जिक्र है कि डॉ. कफील ने अपने सीनियर्स को ऑक्सीजन की कमी से अवगत कराया था और अपनी
व्यक्तिगत क्षमता में सात ऑक्सिजन सिलेंडर भी दिए थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कफील अगस्त 2016 तक निजी प्रैक्टिस में शामिल थे, लेकिन उसके बाद नहीं।
गुरुवार को बीआरडी अधिकारियों ने रिपोर्ट की एक कॉपी डॉ. कफील को सौंपी है।
जबकि जांच अधिकारी हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव ने यूपी के चिकित्सा शिक्षा विभाग को 18 अप्रैल को रिपोर्ट सौंपी थी।
डा0 कफील ने पांच महीने तक उन्हें अंधेरे में रखने के लिए, योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
डा0 कफील खान ने इन आरोपों के लिए 9 महीने जेल में बिताए थे।
अब करीब दो साल बाद वह इन आरोपों से मुक्त हुए हैं।
जमानत पर बाहर आने के बावजूद डॉ. कफील लगातार निलंबित रहे।
उन्होने कहा कि क्या सरकार अब उन्हे सेवा मे बहाल करेगी।
उन्होंने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग भी की है।