नाटक जिस लाहौर …..ने दिया बंटवारे के समय एकता का संदेश
February 27, 2018
लखनऊ, लेखक असगर वजाहत और निर्देशक द्वय शिशिर-जिया खान द्वारा निर्देशित नाटक जिस लाहौर नहीं देखया ओ जम्याइ नइ का मंचन फखरूद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी उ० प्र ० के सहयोग अौर अभिव्यक्ति शैक्षिक एवं सामाजिक संस्थान द्वारा संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह, संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर लखनऊ में किया गया।
नाटक में दिखाया गया कि भारत पाकिस्तान बंटवारे की त्रासदी तथा नफरत के अंधेरे में भी रोशनी इस बात का विश्वास दिलाती है कि इंसानियत और प्यार का बंटवारा नहीं हो सकता। बंटवारे में लखनऊ के सिकन्दर मिर्जा के परिवार को लाहौर में रत्न लाल जौहरी की २२ कमरों की हवेली एलाट होती है जिसमें पहले से ही रत्न लाल जौहरी की मां रह रही है।
दोनो के धर्म और कल्चर के अलग अलग होने के बावजूद नाटक यह संदेश देता है कि जब हम लोग और माई एक साथ एक ही घर में रह सकते हैं तो देश में हिन्दू और मुसलमान एक साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। नाटक में मुख्य भूमिकाएं में जिया खान, पारूल, उदयवीर, नरेन्द्र पंजवानी, नीरज सचान, अजहर अली, सोनिया, रईस अहमद, हामिद, गगनदीप, हरि, प्रत्यूष, शुभ्रा, आरिफ, अंजलि, अभय, आसिफ, हिमांशु, अविनाश, लक्ष्य आदि ने निभाई। मंच व्यवस्था डॉ नीरज सचान और संतोष श्रीवास्तव की, मुख सज्जा उपेन्द्र सोनी की, प्रकाश सयोजन हफ़ीज़ का, सेट निर्माण आशुतोष का था।