नयी दिल्ली , कोरोना वायरस ‘कोविड 19’ के बढ़ते संक्रमण के बीच मजदूर न मिलने से खाने-पीने की चीजों का उत्पादन और आपूर्ति प्रभावित हो रही है तथा इनके भंडार में काफी कमी आई है।
सूत्रों का कहना है कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को मजदूर नहीं मिलने से वे पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूर अपने गाँव – घरों को लौट गये हैं। सरकार के वेतन न काटने की अपील से जो मजदूर गाँव नहीं जा पाए हैं वे भी काम पर नहीं आ रहे हैं।
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मजदूरों की कमी का असर अनाज तथा दूसरे किराना सामानों के उद्योग पर भी पड़ा है। उद्योग सूत्रों ने बताया कि किराना के सामान का भंडार सामान्य समय की तुलना में 25 प्रतिशत रह गया है। सामान की पैकेजिंग और लदाई के लिए भी मजदूर नहीं मिल रहे।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ एक बैठक में उद्योग जगत के प्रतिनिधियों ने लॉकडाउन के बाद मजदूरों को लाने के लिए विशेष ट्रेनों की व्यवस्था करने की मांग की। सूत्रों ने बताया कि जरूरी आपूर्ति से जुड़े उद्योगों में काम पर नहीं आने वाले मजदूरों का वेतन काटने की व्यवस्था की भी उद्योग जगत ने माँग की ताकि उन्हें काम पर आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई इस बैठक में फिक्की, सीआईआई, एसोचैम और पीएचडी चैम्बर आफ कॉमर्स समेत कई उद्योग संगठनों के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने नकदी की किल्लत और कच्चे माल यानी कृषि उत्पादों की खरीद के लिए कार्यशील पूंजी की कमी का मुद्दा भी उठाया।
मंत्रालय ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की समस्याओं और शिकायतों के त्वरित निष्पादन के लिए गठित विशेष प्रकोष्ठ के समक्ष अब तक 348 सवाल आये हैं। इनमें 50 प्रतिशत का समाधान किया जा चुका है जबकि अन्य पर काम चल रहा है।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए श्रीमती कौर की यह दूसरी बैठक थी। इसमें खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री रामेश्वर तेली भी मौजूद थे।
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