कानपुर, सावन आते ही सपेरों के द्वारा सांपों पर अत्याचार बढ़ जाता है हर जीव जीना चाहता है किसी जीव को क्रूरता के साथ दांत तोड़ कर विष थैली काटकर निकालने पर अच्छा शायद नहीं लगता होगा पर हमें उन क्रूरता हुए दर्द को झेल रहे सांपो को देखकर आनंद लेते है और हम सपेरों को बढ़ावा देते हैं नाग देवता के नाम पर नाग के दर्शन और प्रणाम करते हैं जो जिंदगी और मौत से लड़ रहा होता है और कुछ ही दिनों में मरने वाला होता है सेवा दान फाउंडेशन द्वारा मंदिरों में लोगों को सांपों के प्रति जागरूक वालंटियर कार्तिकेय जी के द्वारा परमट में सावन के चलते वहां से सांपों को रेस्क्यू करके वन विभाग को सौंपा गया और उन्हें जंगली क्षेत्र में छोड़ा गया कुछ सांप बहुत ही दयनीय स्थिति में थे जिसमें एक सांप आज सुबह मर भी गया।
आप जब भी मंदिर जाएं तो वहां पर सपेरों का समर्थन ना करें उन्हें कोई दूसरा रोजगार करने की सलाह दें।
10 वर्ष की उम्र तक के बच्चे कोबरा आदि सांप लेकर बाल श्रम करवाए जाते हैं।
पूरे साल सांपो पर अत्याचार होते हैं पर सावन आते इन सांपो मुख्य रूप से नाग के बुरे दिन आ जाते हैं। इस स्वार्थ भरी दुनिया में भोले बाबा से तो मनुष्य अपने कल्याण की कामना करता है पर वही उनके प्रिय नाग की दुर्दशा करवाने में सपेरों को बढ़ावा देते हैं।