उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि सरकार लोगों को धूम्रपान के लिए एक सुरक्षित विकल्प से वंचित कर रही है।
सरकार ने इलेक्ट्रानिक सिगरेट यानी ई- सिगरेट के उत्पादन, बिक्री, भंडारण और आयात- निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है और इसके लिए एक अध्यादेश को मंजूरी दी गयी।
ई-सिगरेट का समर्थन करने वालों का तर्क है कि यह तंबाकू की तुलना में कम हानिकारक हैं, लेकिन सरकार का मानना है कि उनसे भी पारंपरिक सिगरेट की तरह ही स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा होता है।
ई-सिगरेट उपयोगकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था एसोसिएशन ऑफ वैपर्स इंडिया (एवीआई) ने कहा कि यह भारत में 11 करोड़ धूम्रपान करने वालों के लिए काला दिन है और उन्हें सुरक्षित विकल्पों से वंचित कर दिया गया है।
एवीआई के निदेशक सम्राट चौधरी ने कहा कि अध्यादेश कई जिंदगियों के समक्ष जोखिम पैदा होगा। प्रतिबंध लगाने में सरकार द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी से संकेत मिलता है कि उसे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार की तुलना में सिगरेट उद्योग की रक्षा को लेकर अधिक चिंता है।
इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) के व्यापारिक प्रतिनिधि टीआरईएनडीएस के संयोजक प्रवीण रिखी ने आरोप लगाया कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध सीमित वैज्ञानिक और चिकित्सा राय के के आधार पर लगाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि एक भी हितधारक के साथ बैठक किए बिना यह फैसला ‘‘लोकतांत्रिक मानदंडों की हत्या करने से कम नहीं है।’’