लखनऊ, सामाजिक संस्था बहुजन भारत के मुख्यालय पर मंगलवार को संत गाडगे जी के निर्वाण दिवस के मौके पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष व पूर्व आईएएस कुंवर फ़तेह बहादुर ने कहा कि गाडगे जी सही मायने में संत थे, उन्होंने
शोषित-वंचित समाज को ही अपना परिवार माना और समाज में जाति के आधार पर बनी गैर बराबरी वाली व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया।
जाति के आधार पर सदियों से उत्पीडन का दंश झेल रहे वंचित समाज को शिक्षित करने के लिए कई स्कूल खोलकर इस वर्ग को शिक्षित करने के अभियान में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गाडगे जी डॉ. आंबेडकर के समकालीन थे। यह वह समय था जब -अछूत युवक, सामाजिक विषमता के भयावह अंधकार में जीने पर मजबूर थे। गाडगे जी अपने कार्यों से, उन प्रतिकूल परिस्थितियों में भी, इतिहास का एक चमकदार अध्याय बन गये।
संस्था के महासचिव चिंतामणि ने कहा कि गाडगे बाबा लोकसेवा और स्वच्छता के प्रतीक थे, उन्होंने झाड़ू, श्रमदान और पुरूषार्थ को अपना हथियार बनाया। बीसवीं सदी के प्रारम्भ में बहुजन समाज में जागृति फैलाने में संत गाडगे की उल्लेखनीय भूमिका थी। गाडगे उस परम्परा के संत थे, जो कबीर से लेकर रविदास, दादू, तुकाराम और चोखामेला तक आती है। उन्होंने गांव-मोहल्ले की साफ-सफाई से लेकर धर्मशाला, तालाब, चिकित्सालय, अनाथालय, वृद्धाश्रम, कुष्ठ आश्रम, छात्रावास, विद्यालय आदि का निर्माण, श्रमदान व लोगों से प्राप्त आर्थिक सहयोग से किया। इस अवसर पर संस्था के उपाध्यक्ष नन्द किशोर, कोषाध्यक्ष रामकुमार गौतम, नवल किशोर, सत्य प्रकाश, बालीशरण, अश्वनी कुमार, दीप चंद, बरसाती लाल, अजय कनौजिया ने गाडगे जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।