कानपुर, 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाने का यही उद्देश्य है कि हम अपनी प्यारी गौरैया जो पहले हमारे आंगन, बगीचे में फ़ुदकती थी उसे ही नहीं बल्कि अन्य विलुप्त होती प्रजातियों की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया जा सके और उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जा सके!
संस्था के संस्थापक का स्रोत त्रिपाठी जी के द्वारा पिछले 8 वर्षों से गौरैया को बचाने की मुहिम चलाई जा रही है जिसमें उन्होंने खुद के घर में लगभग 15 घोसला लगाए हुए हैं जिससे प्रतिवर्ष लगभग 60 बच्चे घोसला से निकलकर उड़ान भरते हैं। आर्टिफिशियल लकड़ी के घोंसले खुद के घर पर लगाने के साथ-साथ और लोगों को भी जागरुक करते हुए लोगों तक पहुंच हैं लगभग 4000 के करीब गौरैया के घोसला विभिन्न कानपुर के क्षेत्र एवं कानपुर के बाहर तक लोगों को पहुंचाया जा चुके हैं।
यह दिन मनाने की सार्थकता तभी होगी जब हम सब इस प्यारी चिड़िया को फिर से अपने घर, आँगन और दरवाजे पर बुलाने की दिशा में कुछ ठोस कदम उठायेंगे.
अपने घर के आस-पास घने छायादार पेड़(मनोकामनी, नींबू, बौगैनविलिया, आदि )लगायें ताकि गौरैया या अन्य पक्षी उस पर अपना घोसला बना सकें.
सम्भव हो तो घर के आंगन या बरामदों में मिट्टी का कोई बर्तन रखकर उसमें पर प्रतिदिन स्वच्छ जल डालें जिससे यह घरेलू पक्षी अपनी प्यास बुझा सके वहीं पर थोड़ा अनाज के दानें बिखेर दें या फीडर में भरकर टांग दें जिससे इसे कुछ आहार भी मिलेगा और यह आपके यहां प्रतिदिन आयेगी।
बरामदे या किसी पेड़ पर किसी पतली छड़ी या तार से आप इसके बैठने का अड्डा भी बना सकते हैं।
यदि आपके घर में बहुत खुली स्थान नहीं है तो आप गमलों में कुछ घने पौधे लगा सकते हैं जिन पर बैठ कर चिलचिलाती धूप या बारिश से इसे कुछ राहत मिलेगी गमलों में लगे कुछ फ़ूलों के पौधे भी इसे आकर्षित करते हैं क्योंकि इन पर बैठने वाले कीट पतंगों से भी यह अपना पेट भरती है।
आप स्वयं भी घोसला बना सकते हैं या बाज़ार से बने घोसले भी लगा सकते हैं।