भोपाल, मध्यप्रदेश में 19 जिलों की 28 विधानसभा सीटों पर राजनैतिक दलों का चुनाव प्रचार अभियान और जोर पकड़ रहा है। तीन नवंबर को मतदान के मद्देनजर एक नवंबर को चुनाव प्रचार अभियान समाप्त हो जाएगा।
राज्य में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्टार प्रचारक और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज मुरैना जिले के खजूरी खराड़ा और ग्वालियर के कोटेश्वर मैदान में चुनावी सभाओं को संबोधित करेंगे। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा शिवपुरी जिले के करैरा, मुरैना जिले के सुमावली और भिंड जिले के गोहद विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभाएं लेंगे।
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से प्रचार में जुटे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भिंड जिले के मेहगांव और मुरैना जिले में चुनावी सभाओं को संबोधित करने के अलावा स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे। कांग्रेस की ओर से इसके अलावा विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव श्री कमलनाथ के साथ और अलग से चुनावी सभाओं में जा रहे हैं।
मध्यप्रदेश में अब चुनाव प्रचार अभियान समाप्त होने में आठ दिन शेष हैं। इसलिए सभी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री श्री चौहान और प्रदेश अध्यक्ष श्री शर्मा के अलावा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा, अनेक मंत्री और पदाधिकारी भी कमान संभाले हुए हैं।
सभी 28 सीटों पर कुल 355 प्रत्याशियों की किस्मत दाव पर लगी है, जिसमें राज्य सरकार के 12 मंत्री भी शामिल हैं। तीन तत्कालीन विधायकों के निधन और 25 तत्कालीन विधायकों के त्यागपत्र के कारण इन सीटों पर उपचुनाव की स्थिति बनी है।
प्रचार अभियान के दौरान जहां अमर्यादित बयान सामने आ रहे हैं, तो भाजपा मुख्य रूप से कांग्रेस के 15 माह के शासनकाल के ‘कारनामों’ और कांग्रेस नेता, सत्तारूढ़ दल भाजपा के 15 वर्ष और मौजूदा सात माह के कार्यकाल की ‘खामियों’ को मुद्दा बनाते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ‘दलबदल’ कर चुनाव मैदान में उतरने वाले नेताओं को ‘बिकाऊ’ और ‘गद्दार’ बताकर उनकी सच्चायी मतदाताओं को बताने का प्रयास भी कर रही है।
किसान ऋणमाफी का मुद्दा भी उपचुनावों के दौरान दिखायी दे रहा है। कांग्रेस का दावा है कि उसकी सरकार ने लाखों किसानों के कर्जमाफ किए थे, लेकिन भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने सत्ता में आने के बाद जनता से किए गए वचन नहीं निभाए। कांग्रेस ने दो लाख रुपयों तक के कर्ज दस दिनों में माफ करने का वचन दिया था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। कर्ज माफी के लिए 55 हजार करोड़ रुपयों की आवश्यकता थी, लेकिन छह हजार करोड़ रुपयों की कर्जमाफी भी पूरी नहीं की गयी।
इस बीच राज्य उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ के 20 अक्टूबर के एक आदेश के बाद ग्वालियर अंचल की कुछ विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अभियान प्रभावित हुआ है। अदालत ने कहा है कि कोविड 19 का संक्रमण रोकने के लिए वर्चुअल सभाएं कराने पर ही जोर दिया जाए। अदालत ने चुनावी सभाएं आयोजित करने के लिए काफी सख्त आदेश दिए हैं, जिसके कारण संबंधित जिलों के क्षेत्रों में चुनावी सभाएं आयोजित करने में कठिनाई पैदा हो रही हैं। निर्वाचन आयोग इस आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंच गया है।
राज्य की 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में 202 विधायक हैं, जिनमें से भाजपा के 107, कांग्रेस के 88, बसपा के दो, समाजवादी पार्टी का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं। कुल 230 विधायक होने की स्थिति में सदन में किसी भी दल को बहुमत साबित करने के लिए न्यूनतम 116 विधायकों की आवश्यकता है।
तीन नवंबर को 355 प्रत्याशियों की किस्मत इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में कैद होने के बाद 10 नवंबर को उपचुनाव के नतीजे घोषित होने पर मध्यप्रदेश की सरकार के भविष्य को लेकर भी फैसला हो जाएगा।